शाहजहांपुर: रातभर बाघ की दहाड़ से सहम उठा गांव...घरों से खेतों पर नहीं पहुंचे किसान

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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खुटार, अमृत विचार: गांव बरगदिया में बाघ ने बछड़े को निवाला बनाए जाने के बाद वन विभाग की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। बाघ आबादी के आसपास देखे जाने व लगातार चहलकदमी से लोग भयभीत है। बृहस्पतिवार को रातभर बाघ गांव के किनारे गन्ने के खेत में जोरों से दहाड़ता रहा और उसकी आवाज सुनकर पूरा गांव सहम उठा।

शुक्रवार सुबह बाघ के डर से किसानों ने श्रमिकों के साथ घरों से खेत की ओर गन्ने की छिलाई करने तक नहीं पहुंच सके। इससे गन्ना छिलाई का काम बंद रहा। उधर, बाघ गांव बरगदिया में आबादी के बीच पहुंच जाने और लोगों पर हमले के बचाव को लेकर डीएफओ नवीन खंडेलवाल के नेतृत्व में निगरानी के लिए तीन टीमें गठित की गई है। 

ग्रामीणों का कहना है कि बाघ को पकड़ने में अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे है। केवल निगरानी से बाघ को पकड़ा नहीं जा सकता है। देखा जाए तो वनकर्मी केवल खानापूर्ति कर रहे हैं। खुटार के गांव बरगदिया में 12 फरवरी की रात करीब 11 बजे राज नारायण के घर के अंदर (बाउंड्रीवाल में) दाखिल हुए बाघ ने बंधे बछड़े पर हमला कर शिकार कर लिया था और उसे रस्सी समेत कुछ दूर खींच कर ले गया था। कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनाई देने के बाद राज नारायण ने बाघ को जाते देखा था। 

13 फरवरी की सुबह को परिजनों को बछड़े का अधखाया हुआ शव मिला था। सूचना पर वनकर्मियों ने पहुंच कर पगचिन्हों को ट्रेस किया था और वापस लौट गए थे। जबकि बछड़े का पोस्टमार्टम कराए बगैर दफनवा दिया गया था। राज नारायण ने बताया कि उनके घर के समीप ही गांव के प्रेम नारायण, जानकी प्रसाद शुक्ला, राज बहादुर, राजकुमार के साथ ही उनका भी खेत है। खेतों में गन्ना खड़ा हुआ है। 

13 फरवरी की रात को बाघ की खेतों की ओर से दहाड़ने की आवाज सुनाई देती रही। रातभर नींद नहीं आई। शुक्रवार सुबह किसान व श्रमिक खेतों की तरफ नहीं पहुंच सके। इससे गन्ना छिलाई का कार्य बंद रहा। साथ ही बाघ की दहशत से पूरा गांव सहमा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि बाघ को जंगल में खदड़ने और पकड़ने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए है। वनकर्मी बैठकर निगरानी कर रहे है। ऐसे में लोगों को डर है कि बाघ किसी पर हमला न कर दे। ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों से बाघ को पकड़ने के लिए मांग उठाई है।

टीम के लौटने के बाद गांव किनारे फिर देखा गया बाघ
बाघ ने बछड़े को निवाला बनाने के बाद जांच करने पहुंची वन विभाग टीम के वापस लौटने के दौरान बृहस्पतिवार शाम करीब साढ़े पांच बजे गांव किनारे बाघ पहुंच गया। लोगों के देखने के बाद बच्चों को लेकर घर भाग खड़े हुए हैं। साथ ही लोगों ने शोर मचाया तो बाघ पड़ोस में ही गन्ने के खेत में चला गया। इसकी सूचना मिलते ही फिर से वन विभाग की टीम गांव पहुंची। लोगों ने बताया कि जेसीबी से गड्ढा खोदकर बछड़े को दफना दिया था। आशंका है कि बाघ फिर से शिकार के लिए आया था। रात करीब आठ बजे तक ग्रामीणों के साथ ही टीम निगरानी करती रही। 

गांव में पसरा सन्नाटा, नहीं निकले बाहर
गांव बरगदिया में लगातार बाघ की चहलकदमी से लोगों में दहशत बैठ गई है। जान जोखिम में पड़ने की आशंका से गांव के लोग अपने परिजनों के साथ देर शाम से घर के अंदर चले गए और बाहर नहीं निकले। गांव में ऐसा लगा कि पूरी तरह से सन्नाटा पसर गया हो। 

निगरानी टीम में यह नाम हैं शामिल
डीएफओ नवीन खंडेलवाल के नेतृत्व में तीन टीमों को गठित किया गया है। प्रथम टीम में डिप्टी रेंजर विकास प्रताप सिंह, डीपी सिंह, दरोगा पुष्पेंद्र कनौजिया, हीरालाल, न्यूनतम वेतन कर्मी अमित सिंह है। जो 24 घंटे निगरानी करेंगे। दूसरी टीम में वनकर्मी दीपक कुमार, संतोष पाठक, बहोरन लाल, रामपाल है। जो दिन में निगरानी करेंगे। तीसरी टीम में अमनदीप सिंह, रामपाल, गोविंद, सुभाष चन्द्र का नाम शामिल है। यह तीनों टीम गांव में पहुंच कर बाघ की निगरानी करेंगी।
          
लगातार बाघ की चल कदमी को लेकर डीएफओ द्वारा तीन टीमें गठित की गई है। जो दिन-रात लगातार क्षेत्र में निगरानी कर रही हैं। और लोगों को सतर्क कर रही है- मनोज श्रीवास्तव, रेंजर खुटार।

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