तीन साइबर ठग देवघर से गिरफ्तार : एडीसीपी पश्चिम की पत्नी से 99 हजार रुपये की थी ठगी

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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Lucknow, Amrit Vichar : वजीरगंज पुलिस ने झारखंड के देवघर से तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। इन जालसाजों ने एडीसीपी पश्चिमी धनंजय सिंह की पत्नी से 99 हजार पांच सौ रुपये की ठगी की थी। आरोपियों ने पीएम आवास और पीएम कुसुम योजना के नाम से एपीके फाइल बना रखी थी। जिसे व्हाट्सएप नंबरों पर भेजकर ठगी करते थे। तीनों आरोपियों के पास पुलिस ने मोबाइल बरामद किया है।

इंस्पेक्टर वजीरगंज दिनेश चंद्र मिश्र के मुताबिक 22 जनवरी को रायबरेली रोड डीएलएफ गार्डन निवासी एडीसीपी धनजंय सिंह कुशवाहा की पत्नी रेनुका सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि आईसीआईसीआई बैंक अकाउंट से 99 हजार पांच सौ रुपये बिना जानकारी के निकल गए। पीड़िता ने साइबर सेल में भी शिकायत की थी। उन्होंने एक मोबाइल नंबर दिया, जिस पर बैंक की ओटीपी ट्रांसफर हुआ था। रेनुका की शिकायत पर साइबर क्राइम सेल ने डिटेल खंगालना शुरू किया। बैंक और मोबाइल कंपनियों से ठगी के तार झारखंड से जुड़े होने की जानकारी मिली। एक टीम को झारखंड भेजा गया।

11 मोबाइल कार बरामद

साइबर सेल और वजीरगंज पुलिस ने देवघर मार्गोमुण्डा से रियाज आलम, उल्फत अंसारी और नियाज अंसारी को गिरफ्तार किया। आरोपितों के पास से करीब 11 मोबाइल फोन और एक कार बरामद किया। जिनका इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए आरोपी कर रहे थे। पूछताछ में पता चला कि रियाज और उसके साथी दसवीं फेल हैं। झाखण्ड के जामताड़ा में आरोपितों ने ठगी का तरीका सीखा। जिसका इस्तेमाल कर एपीके फाइल व्हाटसएप के जरिए भेजने लगे। करीब पांच वर्ष से रियाज और उसके गिरोह के सदस्य धोखाधड़ी कर रहे हें। देश के कई राज्यों में आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है।

एपीके फाइल के जरिये हासिल करते बैंक डिटेल

इंस्पेक्टर दिनेश मिश्रा के मुताबिक एपीके फाइल के जरिये आरोपी बैंक खाते की यूपीआई आईडी, नेट बैंकिंग डिटेल और ओटीपी हासिल कर लेते हैं। इसके बाद आधार कार्ड, एम आधार एप और अन्य ऑन लाइन प्लेटफार्म से डाउनलोड कर लेते थे। कुछ बैंकों (जैसे कैनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, उज्जीवन बैंक, फिनकेयर बैंक, बंधन बैंक और आईसीआईसीआई बैंक) में आधार नंबर के माध्यम से यूपीआई और नेट बैंकिंग लॉगिन संभव होता है। इस सुविधा का फायदा उठाकर जालसाज बैंक खाते में सेंध लगा लेते थे। वहां से पैसे अपने फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेते थे। ठगी के बाद, अपराधी तुरंत पास के एटीएम से पैसे निकाल लेते थे और रकम आपस में बांट लेते थे।

इस तरह करें बचाव
  • अनजान नम्बर से आने वाले लिंक पर क्लिक करें
  • व्हाटसएप के आने वाली एपीके फाइल को डाउनलोड करने से बचें
  • बैंकिंग एप में टू-फैक्टर वैरिफिकेशन लगाए
  • गलती से एपीके फाइल डाउनलोड कर ली है तो तुरंत साइबर टीम को बताएं

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