महाकुंभ में बने कई विश्व रिकार्ड, जानें किसने मारी बाजी
भास्कर दूबे, लखनऊ, अमृत विचार: इस बार का महाकुंभ कई विश्व रिकॉर्ड बनाएगा। लगभग आधा दर्जन रिकार्ड कुंभ के खाते में दर्ज हो रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष टीम और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के अधिकारी दिन रात नजर बनाए हुए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के खाते में सबसे अधिक भीड़ वाले आयोजन संपन्न कराने सबसे अधिक लंबे घाटों पर नियंत्रण सफाई कराने जैसे रिकॉर्ड दर्ज हो चुके हैं। प्रमाण पत्र मिलना बाकी है।
प्रयागराज एयरपोर्ट पर जहां अब तक 650 से ज्यादा चार्टर्ड प्लेन उतरे, तो वहीं रविवार को स्नान करने वालों का आंकड़ा 53 करोड़ के पार हो गया। सुबह से ही अलग-अलग सेक्टरों और घाटों पर लगभग डेढ़ हजार सफाई कर्मी गंगा में एक साथ सफाई करते नजर आ रहे हैं। यह सब अपने आप में विश्व कीर्तिमान है।
ये बने खास रिकॉर्ड
सबसे बड़ी सिंक्रोनाइज्ड स्विपिंग ड्राइव
इस रिकॉर्ड के अतंर्गत 15 हजार प्रतिभागियों द्वारा एकजुट होकर सफाई गतिविधियों को अंजाम दिया गया। इस रिकार्ड से ऐसे स्थलों की पवत्रिता बनाए रखने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी का संदेश निकला।
सबसे बड़ी ई-व्हीकल्स की परेड
दूसरे रिकॉर्ड के तौर पर सबसे बड़ी ई-व्हीकल्स की परेड निकाली गई। 1000 ई-रिक्शा व ई-व्हीकल्स की सामूहिक परेड हुई। इससे कार्बन फुटप्रिंट को कम करने, तीर्थयात्रा के अनुभव में नवाचार दिखाने और अंतिम मील कनेक्टिविटी को उजागर करने का संदेश गया।
सबसे अधिक हैंडप्रिंट पेंटिंग
8 घंटे में सबसे ज्यादा हैंडप्रिंट पेंटिंग बनाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड एक रीअटेंप्ट हुआ, जिसमें 10,000 प्रतिभागियों के जरिए हाथ के निशान वाली पेंटिंग बनाई गई। यह रिकॉर्ड उपस्थित लोगों की विविधता व एकता को भी प्रदर्शित करता है।
सबसे बड़ी नदी सफाई का अभियान
सबसे बड़ी नदी सफाई अभियान के अंतर्गत 300 प्रतिभागियों के साथ यह नया रिकॉर्ड कई स्थानों पर नदी सफाई अभियान में स्वयंसेवकों के सबसे बड़े समूह को शामिल करने के एक प्रयास के तौर पर किया गया। इसका उद्देश्य पवित्र नदियों के संरक्षण के लिए महाकुम्भ के समर्पण को भी उजागर करना रहा।
इसके अतिरिक्त महाकुंभ प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार बकौल मुख्यमंत्री यह महाकुंभ उत्तर प्रदेश को 3 लाख करोड़ से अधिक राजस्व दे रहा है। जो उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित वन ट्रिलियन इकोनॉमी का एक बड़ा हिस्सा होगा। ऐसे आयोजनों के माध्यम से यह भी दिखाया जा रहा है कि कैसे प्राचीन धार्मिक परंपराएं अपने आध्यात्मिक मूल्य को बनाए रखते हुए आधुनिक उपलब्धियों को स्वीकार कर रही हैं।
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