डॉक्टरों और स्टाफ की कमी बढ़ा रही मरीजों का 'दर्द', गोसाईंगंज CHC में अव्यवस्थाएं हावी
लखनऊ, अमृत विचार: गोसाईगंज स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 500 मरीज आते हैं। प्रति माह लगभग 50 सिजेरियन प्रसव और अन्य ऑपरेशन होते हैं। प्रदेश में छठवें स्थान की इस सीएचसी पर सुविधाओं का टोटा है। अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन 4 वर्ष से खराब है। गर्भवतियों को बाहर से जांच करानी पड़ रही है। स्टाफ की भी कभी है, सफाई कर्मियों की तैनाती न होने से गंदगी भी रहती है। अधीक्षक का कहना है कि कई बार पत्राचार किया लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई है।
करीब दो लाख की आबादी के बीच बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए 19 मई 1999 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रमापति शास्त्री ने सीएचसी का लोकार्पण किया था। यहां सामान्य बीमारियों का इलाज करने के साथ एक्स-रे, खून जांच और सामान्य व सिजेरियन प्रसव भी कराए जाते हैं। ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 300 नए व लगभग 200 पुराने देखे जा रहें हैं। अस्पताल में 15 डॉक्टर होने चाहिए लेकिन गायनेकोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिस्ट, डेंटिस्ट, फिजिशियन व अधीक्षक सहित स्थायी व संविदा पर 10 डॉक्टर तैनात हैं। तीन स्थायी और तीन संविदा स्टाफ नर्स तैनात हैं। स्थाई सफाई कर्मी नहीं है। शौचालय साफ कराने के लिए बाहर से सफाई कर्मी बुलाना पड़ता है।मरीजों ने डॉक्टरों पर बहार की दवाएं लिखने के आरोप भी लगाए हैं।
अल्ट्रासाउंड मशीन खराब है, जिसके चलते मरीजों को बाहर से अल्ट्रासाउंड कराना पड़ता है। सीएसआईआर फंड से नई मशीन मंगवाने के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा जाएगा। अन्य कमियों को भी दूर कराने की पूरी कोशिश की जा रही है।
-डॉ. सुरेश पांडेय, सीएचसी अधीक्षक
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