Lucknow News: आठ माह से नहीं मिला बजट, पशुओं की उपचार की सेवा 1962 प्रभावित
लखनऊ, अमृत विचार। करीब आठ माह से बजट न मिलने के कारण प्रदेश में पशुओं के उपचार की 1962 सेवा पटरी से उतरने लगी है। चिकित्सकों और कर्मियों को तीन से चार माह का वेतन न मिलने के कारण मोबाइल वेटरनिरी यूनिट क्षेत्रों में नहीं पहुंच रही हैं। इस वजह से ग्रामीण इलाकों में पशुओं का उपचार कराना पालकों के लिए मुश्किल हो रहा है। यही स्थिति रही तो सेवाएं पूरी तरह से ठप हो सकती हैं।
पशुपालन विभाग ने मार्च 2023 में पशुओं की उपचार सेवा 1962 शुरू की थी। योजना के तहत प्रदेश को पांच जोन में बांटकर 520 मोबाइल वेटरनिरी यूनिट (एमवीयू) कंपनियों द्वारा संचालित हैं। इस सेवा के लिए आठ माह से बजट नहीं मिला है। इस स्थिति में कंपनियां एमवीयू के पशु चिकित्सक, मल्टी टास्क पर्सन और चालकों को नवंबर और दिसंबर से वेतन नहीं दे पाई हैं।
समस्या कम वेतन वाले मल्टी टास्क पर्सन और चालकों के साथ ज्यादा है। इधर, एक माह से स्थिति ज्यादा ज्यादा खराब होने पर कुछ जिलों में सेवाएं प्रभावित होने लगी हैं। मंगलवार को कानपुर नगर, सुलतानपुर समेत कुछ जिलों में पशुपालकों के कॉल करने पर एमवीयू उपचार के लिए नहीं पहुंच रही हैं।
गाइडलाइन के विपरीत संचालन
गाइडलाइन के अनुसार उपचार की सेवा रात 8 बजे तक है। लेकिन, ज्यादातर जिलों में शाम 6 बजे सेवा बंद हो जाती है। कॉल भी शाम बजे तक ली जाती है। इस तरह की कई तमाम शिकायतें हैं। जो गाइडलाइन के विपरीत चल रही हैं। इसके अलावा जिलों ज्यादातर एमवीयू गांव-गांव कैंप में होती है। जबकि आकस्मिक उपचार में दो-चार होती हैं। यदि सभी उपचार में लगाई जाएं तो त्वरित लाभ मिलेगा।
बजट सम्बंधित भुगतान के लिए केंद्र व राज्य स्तर से नई प्रक्रिया चल रही है। इसमें तकनीकी काम होने के कारण केंद्र से बजट नहीं आया है। इस सम्बंध में पत्राचार कर रहे हैं। प्रक्रिया पूरी होते ही बजट मिल जाएगा। जहां उपचार की सेवाएं प्रभावित हैं वहां बात करके संचालित कराएंगे... डॉ. योगेंद्र सिंह पवार, निदेशक रोग नियंत्रण, पशुपालन विभाग।
