Bareilly: नगर निगम की नई बिल्डिंग में करोड़ों का घोटाला, CM और कमिश्नर को लिखा पत्र...जांच की मांग

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Published By Vikas Babu
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शासनादेश के विरुद्ध सरकारी एजेंसी से छीनकर चहेती फर्म को दिया गया काम

बरेली, अमृत विचार: पूर्व मेयर डॉ. आईएस तोमर ने नगर निगम की नई बिल्डिंग के निर्माण में करोड़ों के घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि उनके कार्यकाल में बिल्डिंग के निर्माण की जिम्मेदारी सरकारी एजेंसी को दी गई थी लेकिन मेयर उमेश गौतम ने पद संभालने के बाद यह काम गाजियाबाद की निजी एजेंसी को दे दिया। इसके बाद इस कदर गोलमाल हुआ कि न सिर्फ बिल्डिंग की लागत पांच करोड़ से ज्यादा बढ़ गई बल्कि निर्माण पूरा होने से पहले ही वह टूटने भी लगी है। पूर्व मेयर ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री और कमिश्नर को पत्र लिखकर इस घोटाले की विजिलेंस जांच कराने की मांग की है।

पूर्व मेयर ने मंगलवार को रामपुर बाग में अपने आवास पर बुलाई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नगर निगम की नई बिल्डिंग के निर्माण को वर्ष 2016 में स्वीकृति दी गई थी। उस समय शासन का स्पष्ट निर्देश था कि किसी भी सरकारी भवन का निर्माण सरकारी निर्माण एजेंसी से ही कराया जाए। उनके कार्यकाल में टेंडर आमंत्रित किए गए। कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विस उप्र जल निगम ने 12.85 करोड़ की न्यूनतम दर का प्रस्ताव मंजूर हुआ जिसके बाद जमीन की टेस्टिंग कराई गई। इस पर 24 हजार रुपये खर्च किए गए थे।

पूर्व मेयर ने बताया कि इसके बाद उमेश गौतम चुनाव जीतकर मेयर बने तो उन्होंने शासन के आदेश की अनदेखी कर अनुमोदित निर्माण एजेंसी की जगह पर गाजियाबाद की अपने एक चहेती फर्म को नगर निगम की नई बिल्डिंग के निर्माण का टेंडर दे दिया। इसके बाद इसकी लागत 12.85 करोड़ से बढ़कर 18 करोड़ रुपये पहुंचा दी गई। अब घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल करने से बिल्डिंग अभी से टूटने लगी है। इससे साफ जाहिर है कि घोटाला करने की बुनियाद शुरू में ही तैयार कर ली गई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री और कमिश्नर से शिकायत कर बिल्डिंग के निर्माण की विजिलेंस से जांच कराने की मांग की है।

एक ही फर्म को दिए गए हैं तमाम ठेके
डॉ. आईएस तोमर ने कहा कि कि इतना बड़ा निर्माण कराने का अनुभव नगर निगम के किसी इंजीनियर के पास नहीं था। ऐसे में यह भी बड़ा सवाल है कि नगर निगम के निर्माण विभाग को इसकी देखरेख की जिम्मेदारी किसके इशारे पर दी गई। इसके बावजूद जिस बिल्डिंग का निर्माण 2023 में पूरा हो जाना था, वह अब तक नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम में कई ठेके एक ही फर्म को दिया गया है। अगर जांच हो तो सामने आ जाएगा कि एक साल के भीतर कराए गए ज्यादातर काम एक ही फर्म के जिम्मे हैं।

दो बार की हार से बौखलाए हुए हैं पूर्व मेयर, अपने समय में क्यों शुरू नहीं कराया काम
मेयर उमेश गौतम ने पूर्व मेयर के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि एक जनवरी 2016 को बिल्डिंग के निर्माण की मंजूरी के साथ बजट जारी हुआ था। जून 2017 तक पूर्व मेयर का ही कार्यकाल था, क्यों उन्होंने उस समय निर्माण शुरू कराया। वह खुद सवालों के घेरे में है कि अपने कार्यकाल निर्माण को अटकाए रखा गया।

मेयर ने कहा कि टेंडर कराना उनका काम नहीं है। यह नगर आयुक्त के स्तर से होता है। बोले, पूर्व मेयर बरेली का विकास तो करा नहीं पाए, इसी कारण लोगों ने लगातार दो बार हराकर उन्हें सबक सिखाया। इसी से साफ जाहिर है कि उनसे पहले नगर निगम का क्या हाल रहा होगा। पहले तो शासन से भवन निर्माण की परमिशन ही नहीं मिल रही थी। उन्होंने प्रयास किया तो काम तेजी आई। किसी भी एजेंसी से जांच हो, कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि निर्माण कार्य की गुणवत्ता के लिए वह खुद ही सजग रहते हैं।

नई बिल्डिंग की गुणवत्ता की जांच समिति कर रही है। सभी पुराने कागजात भी मांगे गए है। लोक निर्माण विभाग के भवन खंड के अधिशासी अभियंता ने निर्माणाधीन भवन का निरीक्षण किया है। इसी सप्ताह जांच पूरी हो जाएगी। जो दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी- संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त।

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