Bareilly: मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास योजना से युवा निराश, बैंकों ने लोन देने से खींचे हाथ 

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Published By Vikas Babu
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उद्योग विभाग ने आधी-आधी रात तक दफ्तर खोलकर कराए आवेदन मगर बैंकों ने थोक के भाव कर डाले निरस्त

अनुपम सिंह, बरेली। युवाओं को स्वरोजगार का सपना दिखाने वाली योजना मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान का अफसरों ने धुआंधार प्रचार तो किया लेकिन इसे क्रियान्वित कराने में सफल नहीं हो पाए। बैंकों के लोन देने से हाथ खींच लेने से ज्यादातर युवाओं की उम्मीदें धरी रह गई हैं। वित्तीय वर्ष का आखिरी महीना शेष रहने तक लक्ष्य के मुताबिक 10 प्रतिशत युवाओं को भी लोन नहीं मिल पाया है।

मुख्यमंत्री के नाम पर शुरू हुई योजना का यह हाल तब है, जब उद्योग विभाग से लेकर प्रशासन तक ने पूरा जोर लगा दिया। डीएम रविंद्र कुमार के निर्देश पर हाल ही में उद्योग विभाग के अधिकारियों ने कई दिन तक आधी-आधी रात तक अपना दफ्तर खोलकर युवाओं से आवेदन कराए थे ताकि लक्ष्य पूरा हो सके लेकिन बैंकों ने उनके किए-धरे पर पानी फेर दिया। डीएम के सख्त निर्देशों के मुताबिक बैंकों ने आवेदनों पर लोन देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। जितने आवेदन मंजूर किए, उससे कहीं ज्यादा निरस्त कर डाले।

उद्याेग विभाग के अफसरों के मुताबिक शासन ने इस योजना में तीन हजार युवाओं को लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया था। उनके पास अब तक 5040 आवेदन आए जिनमें से करीब चार हजार फाइलों को स्वीकृत कर अलग-अलग बैंकों को भेजा गया था, लेकिन बैंकाें ने अब तक सिर्फ 860 फाइलें ही स्वीकृत कीं, इनमें से लोन सिर्फ 206 लोगों को ही दिया गया। करीब 1470 फाइलों को बैंकों ने निरस्त कर दिया। बाकी फाइलें अभी लंबित पड़ी हैं। चूंकि वित्तीय वर्ष का अंत भी अब नजदीक है, लिहाजा उम्मीद भी बाकी नहीं बची है कि योजना का लक्ष्य पूरा हो पाएगा।

बिना ब्याज दिया जाता है पांच लाख का लोन
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान योजना अक्टूबर में शुरू की गई थी। इसके तहत 21 से 40 साल तक के युवाओं को रोजगार शुरू करने के लिए बिना ब्याज पांच लाख का लोन दिया जाना है जो चार साल की अवधि के लिए होगा। योजना घोषित होने के बाद पोर्टल लांच करने में कुछ समय लगा। इसके बाद शासन ने जोर दिया तो डीएम रविंद्र कुमार ने उद्योग विभाग और बैंक अधिकारियों के साथ बैठक कर हर हालत में लक्ष्य पूरा करने का निर्देश दिया, लेकिन इसके बावजूद बैंक अधिकारियों ने लोन देने मेंदिलचस्पी नहीं दिखाई।

उल्टे बेरोजगार युवाओं की जेब से निकल गए पैसे
लोन के लिए आवेदन करने वाले युवाओं के मुताबिक आवेदन करने के लिए उन्हें सीए से प्रोजेक्ट की फाइल तैयार करानी पड़ी। एक प्रोजेक्ट के लिए सीए की फीस 15 सौ से ढाई हजार तक है। इसके अलावा शपथपत्र बनवाने में भी पैसा खर्च हुआ। कई चक्कर लगाने के बाद वे आवेदन कर पाए लेकिन बैंकों ने बगैर कोई कारण बताए उनके आवेदन निरस्त कर दिए।

उनका पैसा और समय दोनों बर्बाद हो गए। एक आवेदक ने बताया कि बैंक में फाइल पहुंचने के बाद वह करीब डेढ़ महीने से चक्कर काट रहे थे। करीब 15 बार चक्कर लगवाने के बाद बैंक प्रबंधक ने उनके प्रोजेक्ट के लिए पांच लाख का लोन देने से इन्कार कर दिया। एक युवती ने बिना कारण बताए फाइल निरस्त करने पर सीडीओ से शिकायत की है।

हमारी पूरी काेशिश है कि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इस याेजना का लाभ मिले। सीडीओ भी लगातार बैंकर्स के साथ बैठकें कर रहे हैं। उन्हें फाइलें निरस्त न करने को कहा जा रहा है। आवेदन निरस्त हाेने पर नए कराए जा रहे हैं। प्रदेश स्तर पर भी इसकी समीक्षा की जा रही है- विकास यादव, उपायुक्त उद्योग

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