Court's decision : मैट्रिकुलेशन प्रमाण पत्र के अभाव में सेवा पुस्तिका में दर्ज जन्मतिथि ही मान्य
Prayagraj, Amrit Vichar: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारियों की आयु-निर्धारण हेतु बने नियमों पर चर्चा करते हुए कहा कि नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच विशेषकर राज्य रोजगार में शामिल होने वाले लोगों में बहुत सी गलतफहमियां हैं। सरकार के कुछ अधिकारी मानते हैं कि नाबालिग को नौकरी देने से उसकी नियुक्ति को आसानी से रद्द किया जा सकता है या उसे धोखाधड़ी के अपराध के लिए उत्तरदायी बनाया जा सकता है।
ऐसे कर्मचारियों और उनके अधिकारों के प्रति यह एक सामान्य कानूनी विचारधारा है कि वयस्क होने से पहले नाबालिग कर्मचारियों ने जितने साल सेवा की है, उसे उनकी सेवा अवधि से घटा दिया जाएगा। हालांकि यह दोष नियुक्ति को अमान्य घोषित नहीं करता, लेकिन सेवा स्तर को थोड़ा काम कर देता है। इसी कारण पिछले कुछ वर्षों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए पात्रता की आयु 18 के बजाय 16 वर्ष कर दी गई है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने जगबीर सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए की, साथ ही कार्य प्रबंधक, सिंचाई कार्यशाला मंडल, मेरठ द्वारा पारित आक्षेपित आदेशों को निरस्त कर याची को वेतन, वेतन वृद्धि और अधिवर्षिता के सभी परिणामी लाभों के साथ सेवा में तत्काल बहाल करने का निर्देश दिया और सेवा से निलंबित रहने की अवधि के बकाया वेतन का अधिकारी मानते हुए सेवा पुस्तिका में दर्ज जन्मतिथि 20 फरवरी 1967 के अनुसार उन्हें 28 फरवरी 2027 तक सेवा में बने रहने का हकदार भी माना।
कोर्ट ने मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए पाया कि याची ने नाबालिग के तौर पर सरकारी नौकरी में नियुक्ति पाने के परिणाम के बारे में जानकर किसी अनजाने डर से 9 जनवरी 2012 को एक हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसमें उसने स्वीकार किया कि नियुक्ति के समय उसकी आयु 18 वर्ष 7 महीने थी। इस हलफनामे के आधार पर ही शायद विपक्षियों ने याची की जन्मतिथि बदलने का फैसला किया और सेवा पुस्तिका में उसकी आयु 20 फरवरी 1967 के बजाय 1 सितंबर 1964 अंकित कर दी गई। विपक्षियों ने कोर्ट को बताया कि याची ने परिवर्तन के लिए स्वेच्छा से एक हलफनामा दिया था, क्योंकि वह अपनी कक्षा 8 की मार्कशीट में जालसाजी के बारे में किसी भी संभावित कार्यवाही से खुद को बचाना चाहता था, जिसका उपयोग उसने सेवा में रहते हुए हाईस्कूल की परीक्षा में बैठने के लिए किया था।
हालांकि कोर्ट ने विपक्षियों के सभी तर्कों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश सेवा में भर्ती (जन्मतिथि निर्धारण) नियमावली ,1974 के नियम 2 के तहत अगर किसी कर्मचारी के पास मैट्रीकुलेट या समकक्ष प्रमाण पत्र नहीं है तो उसकी जन्मतिथि का निर्धारण सेवा में प्रवेश के समय सेवा पुस्तिका में दर्ज जन्मतिथि से किया जाएगा। सरकारी कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में दर्ज जन्मतिथि को सभी उद्देश्यों के लिए उसकी सही जन्मतिथि माना जाएगा और इसी जन्म तिथि के आधार पर उसकी सेवानिवृत्ति की आयु भी निर्धारित की जाएगी। इस प्रकार मौजूदा मामले में 20 फरवरी 1967 के अनुसार याची की सेवानिवृत्ति की आयु 28 फरवरी 2027 होगी।
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