Prayagraj News : मनुस्मृति के पन्ने फाड़ने वाली राजद प्रवक्ता को जमानत देने से किया इनकार

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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Amrit Vichar, Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक लाइव टीवी बहस में मनुस्मृति के पन्नों को फाड़ने के मामले में राष्ट्रीय जनता दल की प्रवक्ता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की शोध छात्रा प्रियंका भारती के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा कि कोर्ट इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकती कि एक उच्च शिक्षित व्यक्ति और राजनीतिक दल की प्रवक्ता के रूप में टीवी शो में भाग लेने वाली याची द्वारा किया गया कृत्य अनजाने में हुआ है।

प्रथम दृष्टया यह एक दुर्भावना पूर्ण इरादे का प्रतिबिंब है। यह बिना किसी वैध कारण के किया गया कार्य है, जिसे किसी भी स्थिति में अनदेखा नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि राजनीतिक नेताओं या मीडिया हस्तियों जैसे प्रभावशाली व्यक्तियों के भाषण अधिक विश्वसनीयता और प्रभाव रखते हैं। अतः ऐसे भाषणों से नफरत या हिंसा नहीं झलकनी चाहिए। प्रभावशाली व्यक्तियों का यह कर्तव्य है कि वह अपने पद का ख्याल रखें और उनके शब्दों के संभावित प्रभाव को समझते हुए अपनी भावनाओं और शब्दों के प्रति सतर्क रहें। याची द्वारा पवित्र पुस्तक मनुस्मृति के पन्नों को फाड़ने जैसे कृत्य को अक्षम्य न मानते हुए न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने प्रियंका भारती की याचिका खारिज कर दी।

याची पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 299 के तहत आरोप लगाया गया कि उन्होंने समाचार चैनलों इंडिया टीवी और टीवी9 भारतवर्ष द्वारा आयोजित एक लाइव बहस के दौरान राजद प्रवक्ता के रूप में भाग लेते हुए मनुस्मृति के कुछ पन्ने फाड़े। हालांकि याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि अनजाने में, लापरवाही से या बिना किसी दुर्भावनापूर्ण इरादे के किसी धर्म का अपमान बीएनएस की धारा 299 के अंतर्गत नहीं आता है। अंत में कोर्ट ने अपराध को संज्ञेय तथा गैर-जमानती मानते हुए याची को राहत देने से इनकार कर दिया।

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