Kanpur: बैंकों से जुड़े पेंशनर्स बोले- वेतन बढ़ोत्तरी और पेंशन अपडेशन करें, ओपीएस ही मंजूर
विशेष संवाददाता, कानपुर। बैंकों से जुड़े छह लाख पेंशनर्स को उनके अपने हित लाभ के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। एक जनवरी 1986 से लागू होने के बाद से उनकी पेंशन में कभी भी संशोधन नहीं किया गया जबकि वेतन में 6 बार संशोधन किया जा चुका है। वेतन बढ़ोत्तरी के अनुपात में पेंशन अपडेशन की मांग को लेकर पेंशनर्स संघर्षरत हैं। यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस, एनपीएस का बैंक पेंशनर्स विरोध करते हैं। उनका कहना है कि वे लोग ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) से एक इंच भी नहीं डिगेंगे।
यह बात साकेत नगर के एक गेस्ट हाउस में आयोजित एआईपीएनबी पेंशनर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अधिवेशन में वक्ताओं ने कही।
महामंत्री अशोक डे ने कहा कि सरकार व बैंक को शीघ्र ही पेंशन पुनरीक्षण करना चाहिए। कर्मचारियों के फंड के ब्याज से पेंशन दी जाती है जिसमें तीन हजार करोड़ रुपया सालाना बचता है। लेकिन पेंशनर्स की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। अशोक डे ने कहा कि बैंकों को अपने ऑपरेटिव लाभ तीन प्रतिशत स्टाफ कल्याण पर खर्च करना चाहिए। पेंशनरों के स्वास्थ्य बीमा का खर्चा बैंक वहन करे। पेंशन के कम्प्युटेशन की कटौती दस साल में समाप्त होनी चाहिए।
आल इंडिया बैंक पेंशनर्स एसोसिएशन के महामंत्री सप्रितो सरकार ने कहा कि पेंशन अपडेशन पर बकाया राष्ट्रीयकृत बैंकों, भारतीय रिजर्व बैंक व नाबार्ड के कर्मचारियों की तरह हर वेतन समझौते के हिसाब से पेंशन अपग्रेड की जानी चाहिए। अध्यक्ष पीके मल्होत्रा ने मांग की कि बैंकों के निजीकरण बंद करके रिक्त स्टाफ की भरती शीघ्र शुरू की जाए। अजय पांडे, कमल त्रिवेदी, सुब्रतो दास, एसके खजांची, राजकुमार, जेएस पांडे, जेएन मिश्रा, जेएच पांडे, सीके शर्मा, एलसी राजन, केएम मिश्रा, रमेश चंद्र, सतीश कुमार, केके शुक्ला, रवि मेहरोत्रा, शशि टंडन, अमिताभ भौमिक, एके त्रिवेदी, अवधेश द्विवेदी, आरएस वर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए।
