ग्रोक के जवाब से हैरत में लोग, आम इंसानों की तरह करता है बात, अपशब्दों के इस्तेमाल से नहीं है ग्रोक को परहेज

Amrit Vichar Network
Published By Vinay Shukla
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लखनऊ : ग्रोक नाम की आजकल खूब चर्चा हो रही है, जिसे देखिए वही ग्रोक से सवाल करता दिखाई पड़ता है और सवालों की भाषा भी ऐसी कि एक बार ह्यूमन इंटेलिजेंस भी चकरा जाए, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ग्रोक हर भाषा में जवाब देता है, हालांकि कुछ मौकों पर ग्रोक जवाब में तथ्यों को सटीकता से बताता है, कई बार चूक जाता है। इतना ही नहीं, कई बार अपशब्दों का इस्तेमाल भी खूब करता है। तो आज एलन मस्क की कंपनी के बनाए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ग्रोक और उसके हैरत में डाल देने वाले जवाबों की बात, साथ ही समझेंगे कहां से आया यह नाम और कैसे करता है यह काम। इसके अलावा इस रिपोर्ट में हम आपको ग्रोक-एआई के दिए कुछ दिलचस्प जवाब भी बताएंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि ये ग्रोक-एआई क्या दूसरे एआई चैटबॉट्स से अलग है या नहीं...

दरअसल, कोई नेता हो या आम आदमी, ग्रोक लगभग सबको जवाब देता नजर आता है, लेकिन ग्रोक की तरफ से दिए गए जवाब की भाषा कई लोगों को हैरत में भी डाल रही है। ऐसे में पहले यह जानते हैं कि ग्रोक है क्या और यह कैसे काम करता है। ग्रोक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट है। यानी कि आपको यदि किसी सवाल का जवाब जानना है तो एक्स पर टैग करके या फिर ग्रोक एआई की वेबसाइट पर जाकर अपना सवाल लिख सकते हैं। सबसे बेहतर तरीका एक्स पर यदि आपका कोई अकाउंट बना है, तो उस पर जाना है और वहीं पर ग्रोक का चिन्ह दिखाई पड़ेगा। चिन्ह पर क्लिक कर आप अपना सवाल बोलकर या टाइप कर लिख सकते हैं। सवाल लिखते ही ग्रोक आपको चैटबॉट यानी बातचीत की तरह तुरंत जवाब देगा। आपने जिस भाषा में सवाल लिखा होगा, कुछ मामलों में ठीक उसी भाषा में ग्रोक जवाब देगा या यूं कहें कि कुछ मामलों में ग्रोक चैटबॉट आपको तोते की तरह जवाब देता है तो गलत न होगा। तोता जिस तरह से हमारी नकल करता है, कुछ मामलों में ग्रोक भी हमारी नकल करता है, लेकिन कहीं बेहतर समझ के साथ।

अब सबसे जरूरी बात कि आखिर ग्रोक चैटबॉट लिखना किस तरह जानता है, तो यह जान लीजिए कि चैटबॉट एआई का ही एक प्रकार है, यह बड़े भाषा मॉडल के रूप में काम करता है। इसे एलएलएम के नाम से जाना जाता है। इस ग्रोक-एआई चैटबॉट को एक्स आई ने नवंबर 2023 में लॉन्च किया था। इसके साथ ही हम आपको यह भी बता दें कि ग्रोक शब्द आया कहां से और इसका अर्थ क्या होता है। ग्रोक शब्द का इस्तेमाल साल 1961 में अमेरिकी उपन्यासकार रॉबर्ट ए. हेनलेन ने अपनी उपन्यास 'स्ट्रेंजर इन ए स्ट्रेंजर लैंड' में किया था। यह उपन्यास साइंस फिक्शन पर आधारित है। इस उपन्यास का मुख्य पात्र दूसरे ग्रह से धरती पर आता है और अपनी भाषा में ग्रोक शब्द का इस्तेमाल करता है। उपन्यास में ग्रोकिंग शब्द का अर्थ गहरी सहानुभूति रखना था, लेकिन मौजूदा समय में ग्रोक का अर्थ गहन अध्ययन करना है। हालांकि एलन मस्क ने एक इंटरव्यू में ग्रोक शब्द का अर्थ बताया था। उन्होंने कहा था कि ग्रोक का मॉडल डगलस एडम्स की 'द हिचहाइकर गाइड टू गैलेक्सी' से प्रेरणा लेकर बनाया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि ग्रोक को व्यंग्य पसंद है और यह उन सवालों का जवाब भी देगा, जिन्हें दूसरे एआई सिस्टम जवाब देने से बचते हैं।

उनके इस बात की पुष्टि ग्रोक के जवाब से होती भी है, ग्रोक एआई अपने जवाबों में अपशब्दों का इस्तेमाल भी कर रहा है, फिर चाहे वह अपशब्द नेता के लिए हो या फिर आम आदमी के लिए। ग्रोक के अपशब्दों से कोई नहीं बच पाता, हालांकि ग्रोक के अपशब्दों वाले जवाब पर सवाल उठाए जाएं तो वह माफी भी मांग लेता है। ग्रोक की इसी हरकत के कारण आईटी मंत्रालय ने ग्रोक एआई को बनाने वाली कंपनी एक्स से जवाब तलब किया था। कुल मिलाकर जिस भाषा में ग्रोक एआई से सवाल पूछा जाएगा, वह उसी भाषा में जवाब देगा।

ग्रोक की तरह नहीं हैं दूसरे चैटबॉट हाजिर जवाब

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि ग्रोक की व्यंग्य भाषा और हाजिर जवाबी का मॉडल डगलस एडम्स की किताब 'द हिचहाइकर गाइड टू द गैलेक्सी' पर आधारित है। एलन मस्क ने एक इंटरव्यू में कहा था कि यह दर्शन पर एक किताब है, जो हास्य और व्यंग्य पर आधारित है। एलन मस्क ने यह भी कहा था कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को व्यावहारिक बनाने का काम कर रहे हैं, जिसमें एक मशीन एक इंसान की तरह सोच सकती है। जिसका परिणाम आज सबके सामने ग्रोक के तौर पर है। ग्रोक जहां एक तरफ सामान्य तरीके के जवाब सामान्य तरीके से देता है, वहीं विवादास्पद मामलों में भी खुलकर जवाब देता है, कई बार वह अपना आपा भी खो बैठता है, यह बात भी ग्रोक ने खुद सवालों के जवाब में बताई है। भाषा का इस्तेमाल सवाल पूछने वाले के तरीके पर ही निर्भर करता है। जबकि चैटजीपीटी, गूगल जेमिनी, मेटा एआई और डीपसीक जैसे एआई चैटबॉट कभी भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं करते हैं।

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