कानपुर में सीएए के विरोध में जमकर हुई थी हिंसा, मामले की फिर से समीक्षा शुरू, इंटेलिजेंस के अधिकारियों को सौंपे गए दस्तावेज

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। सीएए के विरोध में शहर में सात साल पहले हुई हिंसा में कार्रवाई को लेकर फिर से समीक्षा शुरू हो गई है। पुलिस अधिकारियों ने घटनाओं और दर्ज एफआईआर का ब्योरा और अन्य जुड़े दस्तावेज इंटेलीजेंस विभाग के अधिकारियों को सौंप दिए हैं। इसको लेकर इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने कमिश्नरेट पुलिस के साथ काम शुरू कर दिया है।
     
नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) को लेकर शहर में वर्ष 2019 में हिंसक घटनाएं हुईं थीं। जिसमें प्रदर्शनकारियों की मौत भी हुई थी। इसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए कई एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस ने उपद्रवियों को चिन्हित करते हुए जेल भेजा था। घटना के दौरान राज्य संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया था। जिसकी वसूली प्रदर्शनकारियों से कराई गई थी। हालांकि, सभी मामलों में से ज्यादातर में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। अब इन सभी मामलों में दोबारा समीक्षा की जाएगी। 20 दिसंबर 2019 को बाबूपुरवा में सीएए के विरोध में हिंसक घटना हुई थी। 

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मौके पर पहुंची पुलिस पर पथराव, फायरिंग और एसिड बम फेंके थे। पुलिस ने पहले प्रदर्शनकारियों को रोकने का प्रयास किया मगर जब मामला बिगड़ता चला गया तब पुलिस को उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए फायरिंग करनी पड़ी थी। जिसमें तीन प्रदर्शनकारियों रईस, सैफ और आफताब की मौत हो गई थी। इस घटना को लेकर पुलिस ने दावा किया था कि पुलिस की गोली से कोई नहीं मरा था। प्रदर्शनकारी गोली बारी कर रहे थे उसी में उनकी मौत हुई। हिंसा के बाद पुलिस ने 500 से ज्यादा लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की थी। बाबूपुरवा के बाद 21 दिसंबर 2019 को परेड के यतीमखाना के पास हिंसक घटना हुई थी। इसे लेकर कर्नलगंज थाने में भी एफआईआर दर्ज की गई थी। 

हिंसक घटनाओं के दो बड़े मामलों को दर्ज करने के बाद पुलिस ने उपद्रवियों के खिलाफ शहर के अलग-अलग थानों में एक दर्जन से अधिक मामले अलग-अलग धाराओं में दर्ज किए थे। अब इन सभी दर्ज मामलों में इंटेलीजेंस विभाग दोबारा समीक्षा कर रहा है। जिसमें यह पता किया जा रहा है, कि दर्ज मामलों में कितनों में कार्रवाई हुई और कितनों में कार्रवाई नहीं हो सकी। जिनमें कार्रवाई नहीं हुई उसके पीछे कारण क्या रहा। यह समीक्षा पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। इस संबंध में अपर पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था हरीश चंदर के अनुसार इस तरह की समीक्षा रूटीन में होती रहती है। पुलिस इंटेलीजेंस विभाग की समीक्षा करने में मदद कर रहा है।

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