लखीमपुर खीरी: सरकारी केंद्रों पर गेहूं की खरीद धीमी, प्राइवेट आढ़ती किसानों को दे रहे अधिक मूल्य

Amrit Vichar Network
Published By Preeti Kohli
On

गोला गोकर्णनाथ, अमृत विचारः सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों से अधिक कीमत पर प्राइवेट आढ़ती गेहूं खरीद रहे हैं। विक्रेता को बिना किसी झंझट के नकद भुगतान मिल रहा है। यही कारण है कि मंडी समिति में खुले 16 खरीद केंद्रों पर खरीदे गए गेहूं से तीन गुना आढ़ती गेहूं खरीद चुके हैं, उनके यहां अब भी गेहूं तौल के लिए ढेर लगा है।

अलीगंज रोड पर कृषि उत्पादन मंडी समिति में विपणन शाखा के छह, यूपीएसएस के दो, पीसीयू के दो, पीसीएफ के पांच, एफसीआई का एक और मंडी समिति क्षेत्र के बाहर एफसीआई का एक, पीसीएफ के पांच, पीसीयू के दो और यूपीएसएस के एक सहित 25 सरकारी गेहूं क्रय केंद्र खुले हैं। कृषि उत्पादन मंडी समिति में गेहूं खरीद का तरीका अलग दिखाई देता है। सरकारी केंद्र पर रामपुर मक्का के एक किसान का गेहूं खरीदने से पहले सुखाया जा रहा है, किसान को बताया गया कि उसके गेहूं में नमी है।

क्षेत्रीय विपणन अधिकारी सुभाष चंद्र ने बताया कि मंडी समिति के गेहूं क्रय केंद्रों पर 17 मार्च से अब तक दो हजार क्विंटल गेहूं खरीदा गया है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि किसान आधार कार्ड, खतौनी और सत्यापन से बचने के लिये आढ़तियों के हाथ गेहूं बेच रहा है, जहां उसे 25 रुपया प्रति क्विंटल अधिक दर से गेहूं का भुगतान भी मिल जाता है। मंडी समिति के सचिव रामलखन सिंह ने बताया कि व्यापारियों एवं आढ़तियों द्वारा 17 मार्च से दो अप्रैल तक 5602 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है। जो सरकारी खरीद का दूने से भी अधिक है।

अधिक दाम मिलने के चलते सरकारी केंद्रों पर नहीं जा रहे किसान
गोला गोकर्णनाथ। कृषि उत्पादन मंडी समिति में गेहूं बेचने आए किसानों ने बताया कि जब उनका अधिक कीमत पर व्यापारी खरीद रहे हैं तो वह अपना गेहूं सरकारी केंद्र पर क्यों बेचें। सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 2425 रुपया प्रति क्विंटल घोषित है जहां किसान को पंजीकरण कराने के बाद अपनी जमीन का सत्यापन लेखपाल से कराना होता है। कभी सरवर की दिक्कत तो कभी मानक की समस्या भी किसानों को परेशान कर रही है।

सरकारी केंद्र पर गेहूं बेचने में किसान की जटिलता
गोला गोकर्णनाथ। कृषि उत्पादन मंडी समिति में गेहूं बेचने आए कुकरा के पूर्व प्रधान यूनुस खान ने बताया कि सरकारी केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए पहले ऑनलाइन पंजीकरण कराना होता है। उसके बाद एक हेक्टेयर तक की उपज बेचने के लिए लेखपाल द्वारा सत्यापन, 2 से 3 हेक्टेयर तक की उपज के लिए तहसीलदार स्तर से, तीन से पांच हेक्टेयर तक की उपज के लिए एसडीएम स्तर से और 5 हेक्टेयर से अधिक की उपज बेचने के लिए किसान को एडीएम स्तर से सत्यापन करना होता है। इन झंझटों से बचने और अधिक नगद मूल्य मिल जाता है।

जिस नाम से खुले हैं सेंटर वहां नहीं होती खरीद
गोला गोकर्णनाथ। शासन द्वारा तहसील क्षेत्र में 25 गेहूं खरीद केंद्र खोले गए हैं, लेकिन सात खरीद केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों के मंडी समिति में संचालित हैं, जिससे उस क्षेत्र के लोगों को गेहूं बेचने के लिए गोला मंडी लाना पड़ता है, जिसमें समय और किराये पर अधिक धन खर्च होता है।

गेहूं खरीद में सत्यापन के लिए साइट धीमी चल रही है। 900 में 541 किसानों का लेखपाल स्तर से सत्यापन किया जा चुका है। जानकारी मिली है कि प्राइवेट व्यापारी ऊंची दर पर गेहूं खरीद रहे हैं। जांच कराकर असलियत का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा- विनोद कुमार गुप्ता एसडीएम/सभापति कृषि उत्पादन मंडी समिति गोला

ये भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी: साहब...मुझे पत्नी से ही है जान का खतरा, बच्चों को छोड़ दूसरे युवक के साथ घूमती है

संबंधित समाचार