Kanpur: मां हीमोफिलिया ग्रस्त तो परिवार हो सकता त्रस्त, डॉक्टरों ने बताए बीमारी के बताए लक्षण, बोले- इन बातों का रखें ध्यान
कानपुर, अमृत विचार। मां को हीमोफिलिया है तो बच्चे और यहां तक कि मां के भाई व उनके बच्चे को भी यह बीमारी होने का खतरा 70 फीसदी रहता है। यह बीमारी आनुवंशिक है, जो एक पीढ़ी को दूसरी पीढ़ी से मिलती है। खासकर महिलाओं के माध्यम से। पुरुषों में यह समस्या ब्लीडिंग के रूप में उभरती है, लेकिन महिलाओं में यह समस्या ब्लीडिंग के रूप में नहीं उभर पाती है, बल्कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी की ओर बढ़ती है।
जीएसवीएम मेडकल कॉलेज में वर्तमान में 170 मरीज हीमोफिलिया के रजिस्टर्ड हैं। बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.अरुण कुमार आर्या ने बताया कि पांच हजार में से एक बच्चे को हीमोफीलिया ए और 30 हजार में से एक बच्चे को हीमोफिलिया बी से ग्रस्त पाया जाता है। दोनों लक्षण आपस में काफी मिलते-जुलते हैं, इसलिए हीमोफीलिया की जांच करने के लिए क्लॉटिंग फैक्टर टेस्ट किया जाता है। ब्लड टेस्ट के जरिए हीमोफीलिया और उसकी गंभीरता का पता लगाया जाता है। उपचार के लिए उनको 8 व 9 फैक्टर की डोज दी जाती है, जो सरकार और एनएचएम के माध्यम से नि:शुल्क है।
हालांकि इसके इलाज के लिए विदेशों में जीन थेरेपी का प्रयोग किया जा रहा है, जो खून का थक्का बनाने और ब्लड को बहने से रोकने के लिए काफी मदद करता है। हीमोफिलिया को रॉयल डिजीज भी कहा जाता है। यह बीमारी डॉक्टरों को महारानी विक्टोरिया में पहली बार मिली थी। उसके बाद परिजनों में भी समस्या पाई गई थी। बताया कि हीमोफीलिया बच्चे के शरीर में खून के थक्के जमने की प्रक्रिया को बंद कर देता है। इस विकार का वाहक एक्स क्रोमोजोम होने के कारण महिलाओं से पुरुषों में इसका प्रवाह पाया जाता है।
लक्षण
-शरीर पर कई बड़े या गहरे घाव।
-जोड़ों में दर्द, जकड़न या सूजन होना
-बिना किसी कारण के नाक से खून आना
-कंधे अथवा घुटने पर गांठ बनना
-मांसपेशियों व ज्वाइंट में ब्लीडिंग
-लंबे समय तक तेज सिरदर्द रहना
-अत्यधिक थकान महसूस होना
-गले या पेट में चोट लगने या अपने आप ब्लीडिंग होना
मरीज इन बातों का रखें ध्यान
-नोन-स्टेरॉयडल एंटीइंफ्लेमेटरी दवाएं न लें
-नियमित रूप से व्यायाम जरूर करें।
-यात्रा के दौरान विशेष सावधानियां बरतें।
-हेपेटाइटिस ए और बी का टीका जरूर लगवाएं।
-हीमोफिलिया होने पर ब्लीडिंग होने पर तुरंत इलाज करवाएं।
-खून संबंधी या अन्य किसी संक्रमण से बचने के लिए विशेष सावधानी बरतें।
-समय-समय पर जांच जरूर कराते रहें व पोषण युक्त आहार जरूर लें।
