ब्लाइंड मर्डर : किससे लगाएं दरकार, बेटे की हत्या के पांच महीने बीते चुके हैं सरकार...

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Published By Vinay Shukla
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पीयूष हत्याकांड : छात्र के पिता ने तहसील दिवस पर घटना का अनावरण किए जाने की उठाई मांग

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई थी पीयूष की हत्या की पुष्टि, अब तक कातिलों को नहीं पकड़ सकी पुलिस

BKT Piyush murder case : बीकेटी पुलिस की केस डायरी में इंटरमीडिएट के छात्र पीयूष उर्फ मानू (20) की हत्या ब्लाइंड मर्डर बन चुका हैं। वहीं छात्र के परिजन बेटे का इंसाफ दिलाने के लिए लगातार आलाधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। बावजूद इसके छात्र के कातिलों का कहीं सुराग नहीं लग सका है। हालांकि, पुलिस ने भी कई तरह के प्रयास किए, लेकिन कातिलों ने इस केस में पुलिस को उलझा दिया। इस हत्याकांड के पांच महीने बीते चुके हैं। शनिवार को छात्र के पिता कृष्ण कुमार ने तहसील दिवस में घटना के अनावरण करने की मांग की है।

फाइलों के बोझ में दबा गया छात्र की हत्या का राज

गौरतलब है कि 19 दिसम्बर को बीकेटी के भौली गांव में एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में हाजीपुर गांव निवासी लापता इंटरमीडिएट छात्र पीयूष उर्फ मानू की लाश मिली थी। पीएम रिपोर्ट (पोस्टमार्टम) में छात्र की गला कसकर हत्या की गई थी। इसके बाद हत्यारों ने शव को ठिकाने लगाने के लिए निर्माणाधीन बिल्डिंग में फेंक दिया था। इस हत्या के पांच माह बीत चुके हैं। हालांकि, हत्यारों की तलाश गठित की गई चार टीमें भी कातिलों तक नहीं पहुंच सकी। लिहाजा, पुलिस ने इस हत्याकांड को ब्लाइंड मर्डर करार कर फाइलों के बोझ में दबा दिया।

 दूसरी जगह की थी हत्या, फिर शव को बिल्डिंग में फेंका

एडीसीपी नार्थ जितेंद्र दुबे ने बताया कि प्रथम दृष्टया में कातिलों ने छात्र की कहीं दूसरी जगह हत्या की थी। फिर शव को निर्माणाधीन बिल्डिंग में ठिकाने लगाने के लिए फेंक दिया था। पुलिस ने कई पहलुओं पर जांच की, लेकिन कातिलों ने पुलिस को ही उलझा दिया है। बताया कि बीटीएस की मदद से संदिग्ध मोबाइल नेटवर्क को ट्रैक करने की कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली। उनका कहना है कि किसी वक्त शव को निर्माणाधीन बिल्डिंग में फेंका गया तब कातिलों के पास मोबाइल नहीं था। यही वजह है कि बीटीएस एक भी मोबाइल नेटवर्क को ट्रैक नहीं कर पाई।

 मुख्यमंत्री कार्यालय तक की शिकायत

पिता कृष्ण कुमार ने बताया कि बेटे पीयूष को इंसाफ दिलाने के लिए उन्होंने पुलिस आयुक्त से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में भी शिकायत की, लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने बेटे के अज्ञात दोस्तों पर हत्या करने की आशंका जताई है। कहाकि पुलिस बेटे का मोबाइल भी नहीं ढूंढ सकी है। उन्होंने पर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिस वक्त बेटे के शव को निर्माणाधीन बिल्डिंग में फेंका गया था तब पुलिस की पेट्रोलिंग कहां थी? कहा कि अगर पुलिस गश्त पर होती तो शायद कातिलों को पकड़ा जा सकता था। 

ऑर्नर किलिंग के मामले में होती दिक्कतें

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में महानिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी राजेश पाण्डेय ने बताया कि ज्यादातर ऑर्नर किलिंग के मामले में पुलिस को सबसे ज्यादा दिक्कतें होती हैं। ऐसी तमाम घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जहां परिजनों ने ही परिवारिक सदस्य की हत्या कर शव को ठिकाने लगाया होता है। परिजन कार्रवाई की मांग को लेकर पुलिस से फरियाद भी करते है, ताकि उन पर कोई शक न करे। इन मामलों को सुलझाने के लिए पुलिस को लम्बा वक्त लगता है, ऐसे में लोग समझते ही कि केस डंप हो चुका है। मगर पुलिस लगातार छानबीन करती है।

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