इस दिन मनाई जाएगी सतुआही अमावस्या, जानिए स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त, ऐसे करें पूजन
कानपुर, अमृत विचार। हर वर्ष वैशाख मास की अमावस्या को विशेष धार्मिक महत्व है, लेकिन वर्ष 2025 की वैशाख अमावस्या विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस बार यह पावन तिथि न केवल पितरों की तृप्ति के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, बल्कि इसी दिन दक्षिण भारत में शनि जयंती भी मनाई जाएगी।
संस्थापक अध्यक्ष ज्योतिष सेवा संस्थान के आचार्य पवन तिवारी बतातें है कि इसका अर्थ है कि एक ही दिन पूर्वजों का आशीर्वाद और शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का दुर्लभ अवसर बन रहा है वैशाख अमावस्या का संबंध नए चंद्रमा से होता है, जब आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता यह खगोलीय स्थिति तब उत्पन्न होती है जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है। इस दिन को पितरों को समर्पित माना जाता है और लोग जल, तर्पण और दान के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त
पवित्र स्नान का समय
सुबह 4:17 बजे से 5:00 बजे तक
चर मुहूर्त: सुबह 7:23 से 9:01 बजे तक
लाभ मुहूर्त: 9:01 से 10:40 बजे तक
अमृत मुहूर्त: 10:40 से दोपहर 12:19 बजे तक
इस दिन के खास उपाय और पूजन विधि
पवित्र नदी में स्नान करें अगर संभव हो तो गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करें यह पितृदोष को शांत करने के लिए अत्यंत शुभ है। दान-पुण्य करें गरीबों, ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जूते, छाता, जलपात्र, सत्तू आदि का दान करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पुण्य भी प्राप्त होता है।
हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें इस दिन श्री हनुमानजी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है उनके पाठ से डर, बाधाएं और नेगेटिव एनर्जी दूर होती है। मंदिर जाकर पूजा करें भगवान विष्णु, शनिदेव और पितरों की पूजा करें मंदिर में फल, मिठाई, फूल, गूलर का फल, काले तिल व वस्त्र अर्पित करें।
सत्तू का सेवन या वितरण करें
इस दिन सत्तू बनाना और खाना शरीर के लिए ठंडकदायक माना जाता है साथ ही इसका वितरण करने से पुण्य फल मिलता है।
क्यों खास है ये अमावस्या?
वैशाख अमावस्या पर धार्मिक अनुष्ठान करने से पितृदोष शांत होता है, वहीं शनि जयंती का योग इसे और अधिक प्रभावशाली बना देता है शनि के शुभ प्रभाव से कर्मों का फल बेहतर होता है, नौकरी, व्यवसाय और पारिवारिक जीवन में शांति आती है अगर आप अपने जीवन में शांति, सफलता और पितरों का आशीर्वाद चाहते हैं, तो यह दिन आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
ज्योतिष शास्त्र में, सत्तू को ग्रहों और नक्षत्रों से जुड़ा माना जाता है। सत्तू का सेवन करने से ग्रहों की शुभता बढ़ती है और नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। सत्तू का संबंध सूर्य, मंगल और गुरु ग्रहों से है। सत्तू का सेवन करने से ग्रहों की शुभता बढ़ती है और नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। सत्तू का सेवन मानसिक शांति प्रदान करता है और तनाव को कम करता है।
सूर्यदेव से है सत्तू का संबंध
सत्तू को सूर्य देव का प्रसाद माना जाता है। सूर्य की गर्मी और तेज को कम करने के लिए सत्तू का सेवन फायदेमंद होता है। वहीं वैशाख माह में मेष संक्रांति के दिन सत्तू का दान करना शुभ होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इसका उपयोग करने से व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत हो सकती है। जिससे व्यक्ति को मान-सम्मान की प्राप्ति हो सकती है।
मंगल ग्रह से है सत्तू का संबंध
ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को शांत करने के सत्तू का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। वहीं मंगल ग्रह से जुड़े गुस्सा, आक्रामकता को कम करने में सत्तू का सेवन सहायक माना जाता है। सत्तू को गुरु ग्रह की ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। गुरु ग्रह से जुड़े ज्ञान प्राप्ति, शिक्षा और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए सत्तू का सेवन शुभ है। सत्तू का सेवन करने से व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है।
