बरेली: हर लेन-देन पर शुल्क, हर सुविधा पर टैक्स, बचत खाता या घाटे का सौदा?

Amrit Vichar Network
Published By Preeti Kohli
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शिवांग पांडेय, अमृत विचार: सिविल लाइंस निवासी एक खाताधारक सोमवार को एसबीआई की मुख्य शाखा में पासबुक में एंट्री कराने पहुंचे। उन्हें पता लगा की बैंक ने छुटपुट शुल्क लगा कर साल भर में करीब ढाई हजार रुपए की कटौती की। बैंक कर्मी ने बताया कि ये बैंक के निर्धारित शुल्क हैं। ऐसे ही कई खाताधारकों को जानकारी ही नहीं होती है कि उनकी जमापूंजी से छोटे-छोटे शुल्क के रूप बैंक हजारों रुपए कमा रहा है।

जनपद में 41 बैंकों की 300 से अधिक शाखाओं में पांच लाख से अधिक बचत खाताधारक हैं। इन खातों से बैंक हर साल सेवा शुल्क के नाम से दो-ढाई हजार रुपये वसूलते हैं। ये पैसे ग्राहकों से छोटे-छोटे शुल्कों के नाम पर काटे जाते हैं, जिनकी जानकारी न तो स्पष्ट रूप से दी जाती है और न ही ग्राहक इन्हें समझ पाते हैं। हालांकि बैंक इनको बैलेंस मेंटेनेंस चार्ज, एटीएम से ज्यादा निकासी, एसएमएस अलर्ट,

डेबिट कार्ड रीन्युअल और ट्रांजेक्शन फेल होने पर शुल्क जैसे कई नामों का निर्धारित शुल्क बताता है। ये शुल्क 20 से लेकर 200 रुपये के बीच होते हैं, लेकिन साल भर में दो हजार रुपये या उससे अधिक हो जाता है। ग्रामीण और कम पढ़े-लिखे खाताधारकों को जानकारी तक नहीं होती कि उनसे ये पैसे क्यों काटे जा रहे हैं।

आरबीआई की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश के सार्वजनिक और निजी बैंकों ने सेवा शुल्क के नाम पर पांच हजार करोड़ से अधिक की कमाई की है। हालांकि, बैंक दावा करते हैं कि ये शुल्क उनके नियम और शर्तों के तहत होते हैं और खाता खोलते समय खाताधारकों को इसकी जानकारी दी जाती है। जबकि खाताधारकों का कहना है कि बैंकों को शुल्क लगाने से पहले एसएमएस या ईमेल के माध्यम से स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए, ताकि वे सचेत रहें। बहरहाल ग्राहक अपने खातों की नियमित निगरानी करें और बैंक से हर शुल्क का विवरण मांगें, तो वे इन अनावश्यक कटौतियों से बच सकते हैं।

कारपोरेट के लोन न चुकाने की भरपाई करते हैं बचत खाताधारक
यूनाइटेड बैंक यूनियन ऑफ फोरम के अध्यक्ष पीके माहेश्वरी ने बताया कि बड़े कॉरपोरेट सेक्टर को दिया गया ऋण बट्टे खाते में जाने से बैंक भरपाई आम बचत खाताधारकों से करते हैं। महंगाई दर को देखते हुए बचत खाता में रुपये रखने का कोई लाभ सामने नहीं आता है, बल्कि इसके नुकसान हैं। समझदार लोग बचत खाते में सिर्फ इमरजेंसी फंड को ही रखते है। बैंक बचत खाते पर 2-3 प्रतिशत का ब्याज देती है। वहीं, खाते खुलने के बाद ली गई सेवाओं पर निर्धारित शुल्क के साथ ही 18 प्रतिशत की जीएसटी भी लगाती है।

एटीएम में नकदी नहीं होने की जिम्मेदारी बैंक नहीं लेते
उपभोक्ता मामलों के वकील एवं आरटीआई एक्टिविस्ट मुहम्मद खालिद जीलानी बताते है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक खाताधारकों से मासिक रखरखाव शुल्क, एसएमएस शुल्क, एटीएम शुल्क, ओवरड्राफ्ट शुल्क, अपर्याप्त धन शुल्क, चेक बाउंस शुल्क, और धन हस्तांतरण शुल्क आदि वसूलते हैं। इसके साथ ही कुछ विशिष्ट सेवाएं जैसे एसएमएस शुल्क, पासबुक अपडेट या अन्य सेवाओं के लिए शुल्क लिया जाता है।

कुछ बैंक अन्य शुल्क भी वसूलते हैं, जैसे लॉकर शुल्क या अन्य विशेष सेवाओं के लिए शुल्क लगाया जाता है। बावजूद उनकी सेवा में कमी आम बात है। खाते में न्यूनतम बैलेंस न होने पर चार्ज वसूला जाता है, जबकि एटीएम में नकदी न होने पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।

बचत खाते में लगने वाले सेवा शुल्क
-कैश ट्रांजेक्शन चार्ज
-एटीएम से नकदी निकालने पर चार्ज
-फेल्ड एटीएम ट्रांजेक्शन चार्ज
- न्यूनतम बैलेंस चार्ज
-एसएमएस चार्ज
- डेबिट कार्ड वार्षिक चार्ज
- चेक की फीस और चेक क्लीयरेंस चार्ज

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