पुरुष शौचालयों का रखरखाव कर रहीं महिला कर्मचारी, न्यायालय ने आपत्ति जताते हुए मांगा ब्यौरा
लखनऊ, अमृत विचार। स्वच्छ भारत मिशन से सम्बंधित जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान ग्राम प्रधान की ओर से यह बताया गया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम सभा में बने महिला और पुरुष दोनों शौचालयों का रखरखाव 12 महिला सदस्यों वाले स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जाता है।
इस पर न्यायालय ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि महिला कर्मचारियों के द्वारा पुरुष शौचालयों का रखरखाव ग्राम पंचायत की किसी भी योजना सेमेल नहीं खाता। न्यायालय ने सम्बंधित ग्राम प्रधान को शपथ पत्र दाखिल कर शौचालयों के रखरखाव का ब्यौरा देने का आदेश दिया है, साथ ही उक्त स्वयं सहायता समूह को अब तक किए गए भुगतान को भी स्पष्ट करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम की खंडपीठ ने जमुना प्रसाद की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका में रायबरेली जनपद के ज्योना गांव में सामुदायिक शौचालयों के साफ-सफ़ायी का मुद्दा उठाया गया है।
पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सम्बंधित ग्राम प्रधान को तलब किया था। उक्त आदेश के अनुपालन में कोर्ट में हाजिर हुए ग्राम प्रधान उमेश कुमार ने न्यायालय को बताया कि महिलाओं और पुरुषों के लिए तीन-तीन सामुदायिक शौचालय स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए हैं। प्रधान का यह भी कहना था कि उक्त शौचालयों में बिजली-पानी की पूरी व्यवस्था है।
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