उपनिवेशवाद ने बहुलवाद को दबा दिया, परंपराओं को आवाज देने की जरूरत है: जयशंकर

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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मुंबई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि अतीत में बड़ी शक्तियों के प्रभुत्व एवं उपनिवेशवाद ने बहुलवाद को दबा दिया था तथा वैश्विक व्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने के प्रयासों के बीच परंपराओं, विरासत एवं विचारों को आवाज देना आवश्यक है। 

जयशंकर ने यहां ‘विश्व दृश्य श्रव्य और मनोरंजन सम्मेलन’ (वेव्स) में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ ‘ग्लोबल मीडिया डायलॉग’ को संबोधित करते हुए प्रतिभाओं के लिए सहज गतिशीलता सुनिश्चित करने की भी जोरदार वकालत की ताकि वे रचनात्मकता में और योगदान दे सकें। 

उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते प्रभाव के बीच आगाह किया कि उभरती प्रौद्योगिकियों का गैर-जिम्मेदाराना उपयोग एक बढ़ती चिंता का विषय होगा और पूर्वाग्रह को कम करना, सामग्री का लोकतंत्रीकरण करना एवं इसकी नैतिकता को प्राथमिकता देना उभरते विमर्श का हिस्सा हैं। 

जयशंकर ने 60 देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि दुनिया मूलतः, कुदरती रूप से और अनिवार्य रूप से विविधतापूर्ण है तथा अतीत में उपनिवेशवाद और बड़ी शक्तियों के प्रभुत्व दोनों ने बहुलवाद को दबा दिया है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि हम अब अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का लोकतंत्रीकरण करना चाहते हैं, ऐसे में केवल राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता पर जोर देना पर्याप्त नहीं है। यह भी उतना ही आवश्यक है कि हम अपनी परंपराओं, अपनी विरासत, विचारों, प्रथाओं और अपनी रचनात्मकता को आवाज दें।’’ जयशंकर ने कहा कि दुनिया में कई आवाज, कई अनुभव और कई सत्य हैं और हर किसी को खुद को अभिव्यक्त करने का अधिकार है तथा ऐसा करने में उनकी मदद की जानी चाहिए। 

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