जानिए और समझिए चुटकीभर सिंदूर की कीमत...इनसे जुड़ा है इतिहास

कानपुर, (शैलेश अवस्थी)। "आपरेशन सिंदूर" के बाद सिंदूर एक बार फिर चौतरफ़ा चर्चा में है l भारत में सुहागिन महिलाओं के प्रेम, सम्मान, सौंदर्य और समर्पण के प्रतीक इस सिंदूर का हर कालखंड में महत्व रहा है l इसका ऐतिहासिक, पौराणिक, अध्यात्मिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है।
दास्तावेज और पुस्तकों के मुताबिक हड़प्पाकालीन और मोहनजोदड़ो सभ्यता के दौरान हज़ारों साल पहले खुदाई में जो कुछ मूर्तियां मिलीं थीं, उनमें महिलाओं के श्रंगार की वस्तुएँ पाई गईं l इसमें सिंदूरदानी भी थी l चूड़ी, कँगन, बिंदी और मालाएं भी मिलीं l इससे पता लगता है कि हज़ारों साल पहले भी महिलाएं सिंदूर लगाती थीं l
शिवपुराण के मुताबिक माता पार्वती ने सुहाग चिन्ह के रूप में सिंदूर को अपनाया है l मां दुर्गा का सिंदूर शक्ति का प्रतीक है l इसलिए उन्हें सिंदूर अर्पण किया जाता है l बिना सिंदूर उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है l ऋगु और अथर्वेद में भी सिंदूर का ज़िक्र बताया जाता है l माता सीता की मांग में सिंदूर देखकर ही हनुमानजी ने अपने पूरे बदन में सिंदूर का लेप कर लिया था l यह सीता और हनुमानजी के भगवान राम के प्रेम का प्रतीक है l
महाभारत की कथा के अनुसार अपमान से आहत द्रौपदी ने अपने बाल खोल कर प्रण किया था कि दुर्योधन की मौत के बाद ही वह बाल बांधेगी, लेकिन उसने अपना सिंदूर नहीं पोछा था l स्त्रियों के सोलह श्रंगार में यूं तो मंगलसूत्र, चूड़ी और बिछिया भी है, लेकिन सिंदूर का ज्यादा महत्त्व है l सिंधु घाटी सभ्यता में भी इसका जिक्र बताया जाता है l
खासतौर पर हिंदू विवाहित महिलाओं की पहचान, स्वाभिमान और सम्मान है सिंदूर l यही कारण है जब पहलगाम में जब धर्म पूछकर महिलाओं के सामने उनका सुहाग उजाड़ा गया, तब हर भारतवासी का खून खौल उठा और चौतरफ़ा आवाज़ गूंजने लगी बदला.. बदला.. बदला l और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों को तबाह करने की कार्रवाई को नाम दिया "आपरेशन सिंदूर".. I
सिंदूर का वैज्ञानिक महत्व
सिंदूर में पारा धातु भी होती है जो शरीर की विद्युत ऊर्जा नियंत्रित करती है l यह धुष्प्रभाव की ढाल की तरह काम करता है l सिंदूर में फिटकरी, हल्दी और हल्के चूने का भी मिश्रण होता है l प्राकृतिक सिंदूर तो कमीले के पौधे के फल के बीज सुखाकर उसके पाउडर से बनाया जाता है l