Kanpur के निवेशकों के फंसे एक हजार करोड़, बाजार विशेषज्ञ इस समय निवेश के लिए मान रहे बेहतर अवसर, गिरावट के बाद तेजी का अनुमान

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। भारत-पाकिस्तान में टकराव के बाद शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई है। आर्थिक विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि इस गिरावट से शहर के निवेशकों के पोर्टफोलियो में करीब एक हजार करोड़ रुपये की कमी दर्ज हुई है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के बाद अब बाजार में निवेशकों के लिए अवसर खुल गए हैं। 

शेयर बाजार के विशेषज्ञों ने बताया कि जब सीमाओं पर हालात गर्म होते हैं तो उसका असर सिर्फ रणभूमि तक सीमित नहीं रहता। शेयर बाजार की नसें भी थरथराने लगती हैं। हालिया सैन्य अभियान के बाद 8 और 9 मई को भारतीय शेयर बाजार में खासी गिरावट दर्ज हुई। कानपुर के रिटेल निवेशकों में भी निवेश को लेकर भय और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में निवेशकों को समझदारी से निर्णय लेने की जरूरत है। विशेषज्ञ बताते हैं कि शेयर बाजार के पिछले रिकॉर्ड में 2008 का मुंबई हमला, 2019 के पुलवामा और बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक, इन सभी के बाद भारतीय बाजार ने गिरने के बाद तेजी देखने को मिली थी। जो निवेशक इन तनावों के बीच भी बाजार में टिके रहे, उन्होंने अच्छे रिटर्न हासिल किए।

इस तरह बढ़ा बाजार

मुंबई 26/11 हमला 2008 के एक महीने पहले बाजार की बढोतरी 9 फीसदी रही थी। इसके एक महीने बाद 3.80 फीसदी हुई। उसके 6 महीने बाद निफ्टी 54% की दर से बढ़ा और एक साल बाद रिटर्न दर 81.90 फीसदी तक रही। इसी तरह उरी हमला और सर्जिकल स्ट्राइक 2016 के एक महीने पहले बाजार 1.30 फीसदी पर रहा। इसके एक महीने बाद -1.2 फीसदी रहा। इसके 6 महीने बाद 4.30 फीसदी व एक साल बाद 15.60 फीसदी रहा। पुलवामा हमला और बालाकोट 2019 के बाद बाजार में 1.3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। इसके एक महीने बाद 6.30 फीसदी व 6 महीने बाद 1.70 फीसदी व एक साल बाद 12.70 फीसदी की बढ़ोतरी रही। 

निवेशकों को सलाह

बाजार विशेषज्ञों ने निवेश की असली परीक्षा ‘तनाव’ में बताई है। कहा कि निवेशकों को चाहिए कि वे इतिहास से सबक लें, घबराएं नहीं, और लॉन्ग टर्म दृष्टिकोण अपनाएं। यह अनिश्चितता स्थायी नहीं है, लेकिन इसका फायदा केवल वही उठा पाएंगे जो बाजार में डटे रहेंगे। यदि संभव हो तो मौजूदा एसआईपी (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान)में टॉप-अप करें, लेकिन किसी भी सूरत में एसआईपी बंद न करें। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बाजार की अस्थिरता लंबे समय तक नहीं टिकती, जबकि एसआईपी की ताकत कंपाउंडिंग के जरिए निवेश को कई गुना बढ़ाने में है। 

जैसे सीमा पर सैनिक डटे हैं, निवेशकों को भी अपने निवेश पर डटे रहना चाहिए। निवेशकों को एसआईपी नहीं रोकना चाहिए। इसे रोकने से उन्हें नुकसान हो सकता है। बेहतर रिटर्न के लिए निवेशकों को चाहिए कि जहां संभव हो, उसमें टॉप-अप करना चाहिए।- राजीव सिंह आर्थिक विशेषज्ञ

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