World No Tobacco Day Special: युवाओं में 90 फीसदी कैंसर की वजह तंबाकू

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
On

KGMU में हर साल आते हैं 8 हजार से ज्यादा कैंसर पीड़ित नए मरीज तंबाकू में होते हैं सात हजार हानिकारक कैमिकल, 70 से ज्यादा कैंसर के लिए जिम्मेदार पुरुषों में नपुंसकता को दो गुना तक बढ़ाता है तंबाकू सेवन विशेषज्ञ बोले धुआं छोड़, जीवन अपनाएं, स्वस्थ शरीर और मन पाएं

वीरेन्द्र पांडेय/पंकज द्रिवेदी, लखनऊ, अमृत विचार। 90 प्रतिशत लोगों में कैंसर होने की वजह तंबाकू है। इसकी चपेट में युवा वर्ग अधिक है, केजीएमयू में हर साल 8 हजार से अधिक नए कैंसर रोगी इलाज के लिए आ रहे हैं। यह मरीज लखनऊ और उसके आसपास के जिलों के हैं। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के रेडियोलॉजी विभाग के प्रो. (डॉ.) सुधीर सिंह ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर साझा की है।

डॉ. सुधीर ने बताया कि हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा शुरू किया गया। यह दिन तंबाकू के उपयोग से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके सेवन को रोकने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह तंबाकू से संबंधित बीमारियों, जैसे कैंसर, हृदय रोग और फेफड़ों की समस्याओं, पर ध्यान केंद्रित करता है।

हर साल तंबाकू ले लेता है 65 हजार बच्चों की जान

Add a heading (4)

डॉ. सुधीर ने बताया कि पूरी दुनिया में तंबाकू की वजह से करीब 65 हजार बच्चों की जान चली जाती है। यह वे बच्चे होते हैं जो कभी भी तंबाकू का सेवन नहीं करते हैं बल्कि परिजनों व अन्य के तंबाकू सेवन की वजह से अप्रत्यक्ष रूप से उसकी चपेट में आ जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है।

तंबाकू में होते हैं सात हजार कैमिकल, 70 से ज्यादा कैंसर के लिए जिम्मेदार

Add a heading (3)

केजीएमयू के कैंसर सर्जरी विभाग के डॉ. शिव राजन ने बताया कि तंबाकू में सात हजार हानिकारक केमिकल होते हैं, जिनमें से 70 से ज्यादा कैमिकल कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। उन्होंने बताया कि तंबाकू का उपयोग करने वाले लोगों को फेफड़ों, मुंह, गले, आहारनाल, आमाशय, पैंक्रियाज, मूत्राशय, गुर्दे, और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर का प्रमुख कारण है। फेफड़ों के कैंसर के 80-90 प्रतिशत मामले तंबाकू के सेवन से जुड़े हैं।

तंबाकू से कैसे होता है कैंसर

डॉ. शिव राजन के मुताबिक तंबाकू में मौजूद कैंसर के लिए जिम्मेदार कैमिकल शरीर में मौजूद कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। कोशिकाओं के बनने और बिगड़ने के दौरान यही कैमिकल खराबी पैदा करता है, जिसे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहचानने से चूक जाती है, जो बाद में कैंसर का कारण बनती है।

तंबाकू प्रतिवर्ष ले रहा 80 लाख की जान: प्रो. वेद

Add a heading (1)

केजीएमयू के पल्मोनरी और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश ने बताया कि दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों का एक प्रमुख कारण तंबाकू का सेवन है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व स्तर पर हर साल 80 लाख से अधिक लोग तंबाकू के सेवन के कारण मरते हैं। इनमें से 70 लाख से अधिक मौतें सीधे तंबाकू के उपयोग यानी धूम्रपान करने वाले या धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करने वाले लोगों की होती हैं। इनमें से लगभग 10 लाख मौतें सेकंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से होती हैं, जिसे पैसिव स्मोकिंग भी कहा जाता है। इसके अलावा तीस गुना तक फेफड़े व अन्य प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ाता है, इतना ही नहीं तंबाकू से दमा की बीमारी का खतरा भी तीन गुना तक बढ़ जाता है। वहीं पुरुषों में नपुंसकता के खतरे को दो गुना तक बढ़ा देता है। उन्होंने कहा कि धुआं छोड़, जीवन अपनाएं, स्वस्थ शरीर और मन पाएं। एक कश धुआं, सौ कदम मौत की ओर, हर एक बुझती सिगरेट जीवन को राख बनाती है। उन्होंने इसे तुरंत छोड़ने की अपील की है।

तंबाकू का सेवन छह गुना तक बढ़ाता है हार्ट अटैक का खतरा

Add a heading (2)

लॉरी कार्डियोलॉजी के प्रमुख डॉ. ऋषि सेठी ने बताया कि धूम्रपान करने वाले लोगों में हृदय रोग का जोखिम काफी बढ़ जाता है। कोरोनरी धमनी में रोग विकसित होने का जोखिम 2-4 गुना, दिल के दौरे का जोखिम 2-6 गुना, स्ट्रोक का जोखिम दोगुना और पेरीफेरल धमनी रोग का जोखिम 10 गुना से अधिक हो जाता है। उन्होंने बताया कि हमारे यहां इलाज के लिए पहुंचने वाले बहुत से मरीजों में कोरोनरी एक्टेसिया की समस्या दिखाई पड़ती है। इस बीमारी में हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों (कोरोनरी धमनियों) का असामान्य रूप से गुब्बारे की तरह से फैलना (विस्तार) होता है। यह फैलाव पूरी धमनी में हो सकता है, जिससे रक्त प्रवाह में दिक्कत आती है, जो दिल की बीमारी का कारण बनता है।

गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का खतरा

क्वीनमेरी की गाइनी आंकोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. निशा सिंह ने बताया कि तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में किया जाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही होता है।

Add a heading

उन्होंने बताया कि तंबाकू का उपयोग पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। चिंताजनक बात यह है कि पुरुषों और महिलाओं के बीच तंबाकू के उपयोग में अंतर कम होता जा रहा है, क्योंकि बहुत सी महिलाएं और लड़कियां धूम्रपान करती हैं, जिससे उन्हें गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर, ऑस्टियोपोरोसिस और प्रजनन संबंधी समस्याओं जैसे स्वास्थ्य जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का प्रमुख कारण एचपीवी वायरस होता है, लेकिन तंबाकू इसके खतरे को बढ़ा सकता है।

तंबाकू छोड़ने पर आते हैं यह लक्षण

Add a heading (5)

मनोचिकित्सक डॉ. अमित आर्या ने बताया कि तंबाकू छोड़ने पर शरीर में कई तरह के लक्षण व्यक्ति अनुभव कर सकता है, जिसमें चिड़चिड़ापन, चिंता, बेचैनी, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और निकोटीन लेने की तीव्र लालसा शामिल हो सकती है। ऐसे में सेवन करने वाले लोग तंबाकू को छोड़ नहीं पाते और इन समस्याओं का समाधान तंबाकू में ही तलाशते हैं, जिसकी वजह से अधिक और अधिक तंबाकू का सेवन करने लगते हैं। यह एक प्रकार का मानसिक विकार बन जाता है, ऐसे लोगों के लिए तंबाकू छुड़ाने के लिए काउंसलिंग और दवाओं की जरूरत पड़ती है।

उन्होंने बताया कि एक अध्ययन से पता चलता है कि 10 में से 9 वयस्क धूम्रपान करने वाले 18 साल की उम्र से पहले शुरू करते हैं, इसमें ई-सिगरेट, निकोटीन पाउच और तंबाकू उत्पादों का आक्रामक प्रचार इस संकट को और गहरा करता है, उन्हें सुरक्षित विकल्प के रूप में झूठा चित्रित करता है, हालांकि उनके नुकसान के बढ़ते प्रमाण हैं। डब्ल्यूएचओ जैसे संगठन इस बात की चेतावनी देते हैं कि ऐसे उत्पाद नुकसान कम करने के बजाय लंबी अवधि के नशे के प्रवेश द्वार के रूप में काम करते हैं। उनमें अत्यधिक नशीला निकोटीन होता है और वे अक्सर उपयोग करने वाले को बाद में तंबाकू के सेवन को विवश कर देते हैं।

तंबाकू व धूम्रपान छोड़ने के फायदे: डॉ. सूर्यकांत

Add a heading (7)

केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत बताते हैं कि इस साल इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य उन हथकंडों का खुलासा करना है जो तंबाकू और निकोटीन उद्योग अपने हानिकारक उत्पादों को आकर्षक बनाने के लिए उपयोग करते हैं। वर्तमान में सार्वजनिक स्वास्थ्य में सबसे बड़ी समस्या युवाओं में तंबाकू और निकोटिन उत्पादों के प्रति आकर्षण है। उद्योग इन उत्पादों को आकर्षक बनाने और स्वाद, महक को बेहतर बनाने के लिए बाहरी तत्व और एडिटिव्स को मिलाते हैं जिससे कि युवाओं में इसके प्रति आकर्षण बढ़ता है और वे इसके आदी हो जाते हैं। इसके साथ ही बाजार को भी ग्लेमराइज्ड किया गया है और सोशल और डिजिटल मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि धूम्रपान छोड़ने के आठ घंटे बाद शरीर में मौजूद निकोटीन और कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर आधा हो जाता है जिससे कि रक्त में ऑक्सीजन का प्रवाह सामान्य हो जाता है। निकोटीन, जो धूम्रपान की लत के लिए जिम्मेदार है, कम होते ही शरीर हल्कापन महसूस करता है। धूम्रपान छोड़ने के 24 घंटे बाद कार्बन मोनोऑक्साइड पूरी तरह शरीर से बाहर निकल जाती है। रक्त में ऑक्सीजन का स्तर पूर्णतः सामान्य हो जाता है। हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा घटने लगता है। धूम्रपान छोड़ने के 48 घंटे बाद निकोटीन शरीर से पूरी तरह समाप्त हो जाता है। टेस्ट बड्स फिर से सक्रिय होने लगती हैं, जिससे भोजन का स्वाद बेहतर महसूस होता है। सूंघने की शक्ति भी धीरे-धीरे तेज होती है। धूम्रपान छोड़ने के एक महीने बाद चेहरे की रंगत में स्पष्ट सुधार दिखने लगता है। त्वचा का भूरा, पीलापन और धूम्रपान से उत्पन्न झुर्रियां कम होने लगती हैं। खांसी और कफ धीरे-धीरे कम होने लगता है। धूम्रपान छोड़ने के तीन से नौ महीने बाद व्यक्ति की खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ में उल्लेखनीय सुधार होता है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। धूम्रपान छोड़ने के पांच साल बाद हार्ट अटैक का खतरा साथ ही स्ट्रोक का भी खतरा कम हो जाता है। धूम्रपान छोड़ने के 10 वर्ष बाद फेफड़ों के कैंसर का खतरा आधा और मुंह, गला, ग्रासनली, मूत्राशय और अग्नाशय के कैंसर का जोखिम भी उल्लेखनीय रूप से घट जाता है।

21.04.2025

लक्षण

फेफड़ों का कैंसर:

लगातार खांसी जो ठीक न हो

खांसी के साथ खून आना

सांस लेने में तकलीफ

सीने में दर्द

आवाज में कर्कशता

बार-बार निमोनिया या ब्रोंकाइटिस

वजन कम होना और थकान

मुंह का कैंसर:

मुंह में छाले या घाव जो ठीक न हों

मुंह या जीभ पर सफेद या लाल धब्बे

निगलने में दिक्कत

मुंह में सूजन या गांठ

दांतों का ढीला होना

जबड़े या गले में दर्द

गले का कैंसर:

गले में खराश या दर्द जो लंबे समय तक रहे

आवाज का भारी होना या बदलना

निगलने में दिक्कत

गले में गांठ जैसा अहसास

सांस लेने में तकलीफ

ग्रासनली का कैंसर:

निगलने में दिक्कत या दर्द

सीने में जलन या दबाव

वजन में कमी

बार-बार डकार आना

खांसी या उल्टी में खून

पेट का कैंसर:

पेट में दर्द या असहजता

भूख न लगना

वजन कम होना

जी मिचलाना या उल्टी

पेट में सूजन या भारीपन

अग्नाशय का कैंसर:

पेट या पीठ में दर्द

वजन कम होना

पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला होना)

भूख न लगना

मधुमेह का अचानक शुरू होना

थकान और कमजोरी

गुर्दे का कैंसर:

मूत्र में खून

कमर या पेट में दर्द

बिना कारण वजन कम होना

बुखार या रात में पसीना

थकान

मूत्राशय का कैंसर:

मूत्र में खून (बिना दर्द के)

बार-बार पेशाब आना

पेशाब करते समय दर्द या जलन

कमर दर्द

गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर:

असामान्य रक्तस्राव

तंबाकू के सेवन से खराब हो सकती है किडनी 

Add a heading (6)

केजीएमयू के नेफ्रोलॉजी विभाग के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. विश्वजीत ने बताया कि तंबाकू का सेवन शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाता है। अधिक धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में मधुमेह और रक्तचाप की बीमारी होना आम बात होती जा रही है। ऐसे मरीजों में किडनी का खराब होना कई बार देखा गया है। इसके पीछे की वजह खून की धमनियों का सिकुड़ना है जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है। यही वजह है कि इससे किडनी खराब होने लगती है। इसके आलावा तंबाकू  में मौजूद 70 तरह के कैमिकल यूरिन ब्लैडर के कैंसर का कारण बन सकता है। इस समस्या में यूरिन के रास्ते रक्तस्राव का होना प्रमुख लक्षणों में शामिल है।

ये भी पढ़े : ब्लड प्रेशर से डिप्रेशन तक योग से करें जीवनप्रबंधन, MDNIY-लविवि ने संयुक्त रुप से दिया योग प्रशिक्षण

संबंधित समाचार