बदायूं: वेंटीलेटर सपोर्ट न मिलने से एसएनसीयू वार्ड में चार नवजात की मौत
नवजातों की हालत खराब होने पर चिकित्सक ने शुक्रवार को किया था रेफर
बदायूं, अमृत विचार : वेंटिलेटर की सुविधा न मिलने की वजह से शनिवार को जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड (विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई) में भर्ती चार नवजातों की मौत हो गई। चिकित्सकों के अनुसार प्री मेच्योर होने की वजह से नवजातों का वजन कम था। जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। हालत गंभीर होने पर चिकित्सक ने रेफर किया था लेकिन परिजन आर्थिक समस्या होने की वजह से बच्चों को नहीं ले गए थे। जिससे शनिवार को सुबह से लेकर शाम तक चारों नवजात की मौत हो गई। परिजन नवजातों के शव साथ ले गए।
कोतवाली दातागंज क्षेत्र के गांव समरेर निवासी रेनू देवी को प्रसव पीड़ा होने पर उनकी पति विपिन ने पांच जून को समरेर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती कराया था। जहां सामान्य प्रसव से रेनू के जुड़वा बच्चे हुए थे। बच्चों की हालत खराब होने पर एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। प्री मेच्योर डिलीवरी की वजह से बच्चों का वजन कम था। महिला की साढ़े सात महीने में डिलीवरी हुई थी। एक नवजात का वजन 1100 ग्राम और दूसरे का 1300 ग्राम था। उन्हें सांस लेने में परेशान हो रही थी। वहीं दातागंज क्षेत्र के गांव जयपालपुर निवासी प्रेमलता देवी को प्रसव पीड़ा होने पर उनके पति धर्मपाल ने उन्हें जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया। नवजात का वजन 780 ग्राम था। उसकी हालत गंभीर थी। उसे भी सांस लेने में परेशानी हो रही थी और इंफेक्शन था। तो एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। इसके अलावा थाना कादरचौक क्षेत्र के गांव कादरबाड़ी निवासी तराना पत्नी इम्तियाज के नवजात को भी सांस लेने में दिक्कत होने पर वार्ड में भर्ती किया गया। शनिवार को धीरे-धीरे चारों बच्चों ने दम तोड़ दिया। महिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. संदीप वार्ष्णेय ने बताया कि बच्चे प्री मेच्योर्ड थे। सभी का जन्म समय से पहले हुआ था। बच्चों का वजन भी कम था। शुक्रवार को परिजनों को हायर सेंटर ले जाने को कहा गया लेकिन परिजनों ने अनुमति नहीं दी थी। वेंटिलेटर और सीपेप न होने की वजह से दुर्भाग्यवश बच्चों की मौत हो गई।
शासन से कई बार वेंटीलेटर की मांग की गई है। अस्पताल में वेंटिलेटर के अलावा तीन एनेस्थेटिक्स के साथ कम से कम आठ लोगों का स्टाफ जरूरी है। फिर से शासन से पत्राचार किया जाएगा। - डॉ. इंदुकांत वर्मा, सीएमएस, जिला महिला अस्पताल।
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