बदायूं : पहले से थी भागने की तैयारी, आरडी की बजाय एफडी पर था ज्यादा फोकस
हजारों निवेशकों के करोड़ों रुपये लेकर भाग चुकी अमर ज्योति फाइनेंस कंपनी
ऋषिदेव गंगवार बदायूं, अमृत विचार। अमर ज्योति फाइनेंस कंपनी सैकड़ों लोगों के करोड़ों रुपये लेकर फरार हो चुकी है। कंपनी में निवेश करने वाले लोग परेशान हैं। प्रशासन की ओर उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें रुपये वापस मिल जाएं। कंपनी मालिक और फर्जीवाड़ा करने वाले एजेंट के खिलाफर रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही हैं। वहीं कुछ छोटे एजेंटों का कहना है कि कंपनी मालिक ने कई महीने पहले से भागने की तैयारी कर ली थी। इसके चलते कंपनी मालिक उनपर आरडी (आवर्ती जमा) की बजाय ज्यादा से ज्यादा एफडी (सावधि जमा) खोलने पर दवाब डालते थे। इससे एक बार में इकट्ठे रुपये मिल सकें।
शहर के हर मोड़ पर कोई न कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने ज्यादा ब्याज और सुविधा की वजह से अमर ज्योति फाइनेंस कंपनी में खाते खोले। एजेंट उनके पास आते थे और रोज आरडी के रुपये ले जाते थे। मैच्योरिटी के समय रुपये वापस कर दिए जाते थे। कई साल से यही सिलसिला चलता आ रहा था, लेकिन कुछ महीनों से कंपनी के मालिक उनके रिश्तेदार कंपनी के कर्मचारी एजेंटों पर ज्यादा से ज्यादा एफडी लाने का दवाब बनाते थे। कंपनी के बड़े एजेंट छोटे एजेंट को संपर्क के लिए लोगों के पास भेजते थे। रोज 100 रुपये की आरडी पर एक साल बाद मैच्योरिटी पर 13वें महीने में निवेशक को छह प्रतिशत ब्याज के साथ 38200 रुपये मिलते थे। आरडी पर एजेंट को पांच प्रतिशत ब्याज मिलता था।
भागने की तैयारी के बाद कंपनी के मालिकों ने एजेंटों से कहा था कि कंपनी का टाइअप एक बड़ी बैंक से कर रहे हैं। इसके लिए बैंक में दो करोड़ रुपये जमा करने हैं। इससे एजेंटों का भविष्य भी सुरक्षित हो जाएगा। इसके चलते छोटे एजेंटों ने और ज्यादा मेहनत की और लोगों की एफडी बनवाईं। जिसके एवज में उन्हें 15 प्रतिशत ब्याज मिला। जिससे कंपनी के पास करोड़ों रुपये पहुंच गए। अब कंपनी भाग गई तो छोटे एजेंट परेशान हैं और बड़े एजेंट फरार हैं। निवेशक उनसे रुपये मांग रहे हैं। वहीं रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने भी जांच तेज कर दी है। टीमों ने कई शहरों में छापामारी की है। एक टीम ने बरेली जाकर कंपनी के बैंक एकाउंट की जांच की है। टीम वापस लौट आई है। वहीं अन्य टीमें भी कंपनी के मालिकों और एजेंटों की तलाश कर रही है।
बड़े एजेंट के नीचे काम करते थे छोटे एजेंट
कंपनी से जुड़े बड़े एजेंट अपने अंडर में छोटे-छोटे कई एजेंट रखते थे। छोटे एजेंट उन्हें रुपये लाकर देते थे। ऐसे में कई बड़े एजेंट ऐसे भी हैं जिन्होंने कंपनी में रुपये जमा ही नहीं किए। लोगों को फर्जी पासबुक थमा दी। जिससे छोटे एजेंट के सामने ज्यादा मुसीबत है। रोज डर के साये में जी रहे हैं। वहीं निवेशकों के सामने और ज्यादा परेशानी है कि उनके मेहनत की गाढ़ी कमाई कैसे वापस मिलेगी।
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