राजस्व विभाग के संरक्षक नहीं हैं हाईकोर्ट, Bombay High Court के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

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Published By Deepak Mishra
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय राजस्व विभाग के संरक्षक नहीं हैं। बंबई उच्च न्यायालय ने एक कंपनी को 256.45 करोड़ रुपये लौटाने के न्यायाधिकरण के निर्देश पर रोक लगा दी है। 

न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय यह मानते हुए न्यायाधिकरण के निर्देश पर रोक नहीं लगा सकता कि बेलापुर आयुक्तालय के सीजीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्त की ओर से दायर अपील विचारणीय नहीं थी। 

उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के 12 जून के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि उच्च न्यायालय राजस्व का संरक्षक नहीं है। शीर्ष अदालत की पीठ ने 20 जून के अपने आदेश में कहा, ‘‘ प्रथम दृष्टया, उच्च न्यायालय अपील को विचारणीय नहीं मानने और यह दर्ज करने के बाद कि रिट याचिका तथा अपील अप्रयुक्त के रूप में निपटा दी गई हैं, स्थगन का आदेश पारित नहीं कर सकता था।’’ 

उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश फर्म द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने एक रिट याचिका के साथ-साथ राजस्व विभाग की ओर से दायर अपील का भी निपटारा कर दिया है। 

इसने यह भी उल्लेख किया कि यह अपील केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 की धारा 35जी के तहत मुंबई में सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) के जनवरी 2025 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। न्यायाधिकरण ने फर्म की सेवा-कर अपील को अनुमति दी थी। 

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