लाइन विधि से करें बोआई, उर्द एवं मूंग की फसल से होगी दोगुनी आय
प्रतापगढ़ अमृत विचार : खरीफ मौसम में उर्द एवं मूंग की उन्नत खेती के लिए लाइन विधि से बोआई काफी लाभदायक होती है। इससे दलहन उत्पादन बढ़ाकर किसान अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि भूमि की उर्वरता भी बनी रहेगी। जिले में खरीफ फसलों की खेती का लक्ष्य 1.50 लाख हेक्टेयर निर्धारित किया गया है। इसमें ज्वार, बाजरा, मोटा अनाज, उर्द, मूंग, अरहर, तिल और मूंगफली शामिल हैं।
लाइन विधि से उर्द एवं मूंग की बोआई पारंपरिक बिखराव बोआई की तुलना में 20-25 प्रतिशत अधिक उपज, कीट व रोग नियंत्रण के साथ-साथ संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करती है। उर्द व मूंग की बोआई करते समय कतार से कतार की दूरी 25-30 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेमी रखनी चाहिए। इससे पौधों को उचित पोषण, हवा एवं धूप मिलती है। जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि निराई-गुड़ाई आसान होने से फसल स्वस्थ रहती है।
लाइन बोआई से पौधों के बीच उचित दूरी होने के कारण फसल में रोगों व कीटों का प्रभाव कम होता है। लाइन विधि से बोई गई फसल में खरपतवार नियंत्रण, सिंचाई एवं कटाई जैसे कार्य मशीनों से करना संभव होता है, जिससे श्रम व समय की बचत होती है। उन्होंने बताया कि खरीफ मौसम में उर्द एवं मूंग की बेहतर खेती के लिए लाइन विधि से बोआई करके किसान दलहन उत्पादन बढ़ा सकते हैं। इससे न केवल उर्द मूंग का उत्पादन बढ़ेगा,बल्कि भूमि की उर्वरता भी बनी रहेगी और उनकी आय दो गुनी हो सकेगी।
उर्वरक लेते समय पक्की पर्ची जरूर लें किसान
प्रतापगढ़ अमृत विचार : जनपद के किसानों द्वारा खरीफ - 2025 में फसलों की बोआई का कार्य तेजी से किया जा रहा है, जिसके कारण फास्फेटिक उर्वरकों की मांग बढ़ गई है। कृषकों को निर्धारित दरों पर उनकी जोत के अनुसार गुणवत्तायुक्त उर्वरकों की उपलब्धता के लिए कृषि विभाग प्रयत्नशील है। जमा खोरी,कालाबाजारी व निर्धारित दर से अधिक दरों पर बिक्री पर अंकुश लगाना कृषि विभाग की प्राथमिकता है।
जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार ने सभी किसानों से अनुरोध किया है कि वे अपनी जोत के प्रमाण (खतौनी आदि) दस्तावेज साथ लेकर ही उर्वरक खरीदें। उर्वरक खरीदते समय पक्की पर्ची (बिल) अवश्य लें। यदि आपसे उर्वरक के साथ कोई अन्य उत्पाद जबरन खरीदने के लिए कहा जाता है या अधिक मूल्य लिया जाता है तो कृषि विभाग को सूचित करें।
जिला कृषि अधिकारी ने सभी लाइसेंसधारी उर्वरक विक्रेताओं को निर्देशित किया है कि वे किसानों को उनकी पंजीकृत जोत (भूमि) के आधार पर उर्वरक उपलब्ध कराएं। उर्वरकों की बिक्री के साथ अन्य उत्पादों की टैगिंग, ओवर रेटिंग कालाबाजारी तथा तस्करी करते जो भी विक्रेता पाया जाएगा उसके विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
