इटावा मामले के बाद सियासी जंग तेज, सपा ने जारी किया नया पोस्टर, जातीय राजनीति पर कसा तीखा तंज

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
On

लखनऊ, अमृत विचारः इटावा मामले को लेकर चल रही सियासी तकरार के बीच समाजवादी पार्टी ने एक नया पोस्टर जारी किया है, जिसमें जातीय राजनीति के आरोपों का जवाब देने की कोशिश की गई है। इटावा में कथावाचकों से जुड़े मामले ने अब जातिगत रंग ले लिया है, जिसे यादव बनाम ब्राह्मण के रूप में देखा जा रहा है। इस घटना ने प्रदेश में जाति आधारित सियासत को और हवा दे दी है। इसी बीच समाजवादी पार्टी ने अपने पोस्टर के जरिए पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का संदेश देने का प्रयास किया है।

समाजवादी पार्टी द्वारा जारी इस पोस्टर में अखिलेश यादव की एक सभा को संबोधित करते हुए एक बड़ी तस्वीर शामिल की गई है। इस पोस्टर के माध्यम से उन आरोपों का जवाब दिया गया है, जिसमें सपा पर इटावा मामले को जातिगत रंग देने का इल्जाम लगाया गया था। पोस्टर पर लिखा गया है, "हम जातिवाद के पक्षधर नहीं, बल्कि पीडीए के समर्थक हैं।"

सपा प्रमुख का बीजेपी पर हमला

अखिलेश यादव ने इस मामले को पीडीए के एजेंडे से जोड़ते हुए 2027 के लिए सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश की है। इससे पहले उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि सरकार समाज और व्यक्ति के बीच संघर्ष को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ प्रभुत्ववादी ताकतें अन्याय को बढ़ावा दे रही हैं, वहीं पीडीए सकारात्मक और समावेशी राजनीति का प्रतीक है। अखिलेश ने बीजेपी और एनडीए को नकारात्मक सोच वाला गठबंधन करार देते हुए कहा कि पीडीए सकारात्मक सोच और एकजुटता का प्रतीक है।

दरअसल, इटावा के दादरपुर गांव में कथावाचकों के साथ हुए दुर्व्यवहार की घटना के बाद अखिलेश यादव ने दोनों कथावाचकों को लखनऊ में सपा कार्यालय बुलाकर उनका सम्मान किया और कथा का आयोजन करवाया। इसके बाद बीजेपी ने सपा पर इस मामले को जातीय रंग देने का आरोप लगाया। बीजेपी का मानना है कि इस मामले का जितना अधिक विवाद होगा, उतना ही उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ "बंटेंगे तो कटेंगे" का नारा देकर हिंदुओं को एकजुट रहने का संदेश दे रहे हैं।

यह भी पढ़ेः Good News: शिक्षकों की बेटियों की शादी के लिए पांच रुपये के योगदान से मिलेगी पांच लाख की सहायता, TSCT ने की कन्यादान योजना की शुरुआत

संबंधित समाचार