PM Modi को खुश करने में जुटा व्हाइट हाउस! भारत-अमेरिका ट्रेड डील से पहले बोले केरोलीन - 'मोदी-ट्रंप की दोस्ती अटूट'
वॉशिंगटन: भारत और अमेरिका के काफी लंबे समय से प्रतीक्षित व्यापार समझौते को लेकर खबर सामने आ रही है। व्हाइट हाउस ने बयान देकर संकेत दिए हैं कि जल्द ही इस समझौते पर कोई बड़ा ऐलान किया जा सकता है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता केरोलीन लैविट ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्यापारिक टीम भारत के साथ होने वाली डील को अंतिम रूप देने के लिए काफी सक्रिय रूप से लगातार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि PM नरेंद्र मोदी और ट्रंप के बीच गहरा तालमेल है, जो इस समझौते को और मजबूत बनाएगा। इस डील का लक्ष्य 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है।
'मोदी और ट्रंप के बीच है मजबूत रिश्ता'
केरोलीन लैविट ने एक प्रेस वार्ता में कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में भारत के साथ एक बड़े व्यापार समझौते की बात कही थी, और यह पूरी तरह सच है। मैंने हमारे वाणिज्य सचिव के साथ इस पर चर्चा की, जो राष्ट्रपति के साथ मिलकर इस डील को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। जल्द ही ट्रंप और उनकी व्यापारिक टीम इस समझौते पर नई जानकारी साझा करेगी।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी है, और मोदी-ट्रंप की दोस्ती इस समझौते को और प्रभावी बनाएगी।
समझौते की समयसीमा और उद्देश्य
यह व्यापार समझौता एक अंतरिम डील का हिस्सा है, जिसे 9 जुलाई 2025 तक पूरा करना जरूरी है, क्योंकि इसके बाद अमेरिका द्वारा प्रस्तावित 26% के नए टैरिफ लागू हो सकते हैं, जो भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं। यह अंतरिम समझौता दिसंबर 2025 तक एक व्यापक डील का रास्ता साफ करेगा। इसका ढांचा इस प्रकार है:
- अंतरिम समझौते की समयसीमा: 9 जुलाई 2025
- पूर्ण समझौते का लक्ष्य: दिसंबर 2025
- व्यापारिक लक्ष्य: साल 2030 तक 500 बिलियन डॉलर का होगा द्विपक्षीय व्यापार
दोनों देशों की मांगें और बाधाएं
इस समझौते में कई अहम मुद्दों पर बातचीत चल रही है, लेकिन कुछ मुद्दों पर सहमति बनाना मुश्किल रहा है। दोनों देशों की मांगें इस प्रकार हैं:
अमेरिका की मांगें
- भारत में कृषि और डेयरी बाजारों में अधिक पहुंच।
- इलेक्ट्रिक वाहनों और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बाजार खोलना।
- जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों, जैसे सोयाबीन और मक्का, के लिए बाजार में प्रवेश।
- बादाम, सेब, अखरोट और वाइन जैसे उत्पादों पर टैरिफ में कमी।
भारत की मांगें
- भारतीय किसानों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) व्यवस्था की रक्षा।
- अमेरिका द्वारा स्टील, एल्यूमिनियम और ऑटो पार्ट्स पर लगाए गए टैरिफ में कटौती।
- टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, चमड़ा और दवाओं जैसे क्षेत्रों में बेहतर बाजार पहुंच।
प्रमुख बाधाएं
- GM फसलों और डेयरी उत्पादों पर भारत का कड़ा रुख, क्योंकि ये क्षेत्र भारतीय किसानों और सांस्कृतिक मूल्यों के लिए संवेदनशील हैं।
- ऑटो पार्ट्स और खाद्य पदार्थों पर टैरिफ को लेकर असहमति।
भारत का प्रस्ताव
- अमेरिकी बादाम, LNG (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) और ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ में छूट।
- 90% अमेरिकी उत्पादों पर चरणबद्ध तरीके से टैरिफ में कमी।
भारत-अमेरिका व्यापार का महत्व
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध को और भी मजबूती के देने के लिए हर महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। 2024-25 में दोनों देशों के बीच व्यापार 131.84 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। यह दोनो देशों का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। इस समझौते के जरिए दोनों देश 2030 तक व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखते हैं। भारत ने पहले ही झींगा, हाई-एंड मोटरसाइकिल और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों पर टैरिफ में कटौती की है। यह डील न केवल व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करेगी, बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
यह भी पढ़ेः CM योगी और केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव को दी जन्मदिन की बधाई, कहा- मुलायम सिंह के पुत्र को...
