जनसत्ता दल लोकतांत्रिक अध्यक्ष के पिता का बयान : बांग्लादेश जैसा होने जा रहा हिंदुस्तान के हिंदुओं का हाल
अमृत विचार प्रतापगढ़ : हनुमान मंदिर पर पुलिस प्रशासन द्वारा भंडारे की अनुमति न मिलने पर नजरबंदी की कार्रवाई पर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष व कुंडा विधायक राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह ने नाराजगी जताई। भदरी कोठी पर पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय पूरी तरह से दब गया है।
अगर अब भी न चेते तो हिंदुस्तान के हिंदुओं का बंग्लादेश जैसा हाल होने जा रहा है। इसमें कोई संदेह नही रह गया है। प्रशासन जब भंडारा होने नही दे रहा है तो उनके आवेदन करने व सूचना देने का क्या फायदा। उन्होंने कहा कि शासन - प्रशासन सिर्फ दबाव मानता है।
जिस समाज का दवाब बन गया, प्रशासन उसी की सुनता है। पिछले साल की बात है जब हमने शेखपुर के मोहर्रम गेट काे बंद करवाया तो 500 मीटर दूर पर दूसरा गेट मझिलगांव में बनवा दिया। अब उसको भी शासन प्रशासन ने मंजूरी दे दी, जबकि हमारा भंडारा तो दस वर्ष का हो गया था। उसे नई परंपरा कहकर बंद करा दिया गया। हम फिर कोर्ट गए तो न्यायालय से कुछ प्रतिबंध लगा है तो गेट रुका है। शासन प्रशासन दबाव में काम कर रहा है।
शेखपुर में भारी सुरक्षा में निकला मोहर्रम का जुलूस

शेखपुर आशिक कुंडा में रविवार को भारी सुरक्षा में मोहर्रम का जुलूस निकाला गया। जगह - जगह खाकी का पहरा रहा। बंदर की स्मृति में बने हनुमान मंदिर में पूजन - अर्चन किया गया। हालांकि इस बार भी मंदिर पर भंडारे की अनुमति नहीं मिली। राजा भैया के पिता उदय प्रताप सिंह समेत उनके समर्थकों को नजरबंद कर दिया गया।
शेखपुर आशिक से लेकर हाईवे स्थित हनुमान मंदिर तक खाकी का पहरा रहा। करीब तीन बजे ताजियादारों ने ताजिया उठाया तो प्रशासन सतर्क हो गया। एएसपी पश्चिमी संजय राय, कोतवाल अवन दीक्षित समेत पुलिस फोर्स व पीएसी के जवान ताजिया के साथ-साथ चल रहे थे। मंदिर के सामने ताजिया पहुंचा तो वहां पर खाकी का पहरा रहा। ताजिया आगे गुजरने के बाद पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली।
शेखपुर आशिक स्थित हनुमान मंदिर में पूजन-अर्चन करने वालों को प्रशासन ने नजरबंद कर दिया था। राजा उदय प्रताप सिंह के करीबी निर्भय सिंह ने पुलिस के पहरे में हनुमान मंदिर आकर दोपहर में पूजन किया। पूजन करने के बाद उन्होंने पुलिस कर्मियों समेत मौजूद लोगों को प्रसाद का वितरण किया। इसके बाद पुलिस ने उन्हें लेकर भदरी कोठी पहुंची। वहां पर उन्हें फिर नजरबंद कर दिया गया।
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