वन महोत्सव 2025 : 3.5 करोड़ पौधरोपण का लक्ष्य, वन विभाग ने विस्तृत योजना की तैयार 

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Published By Anjali Singh
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और नदियों के पुनर्जीवन के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। वन महोत्सव 2025 के अंतर्गत वन विभाग द्वारा प्रदेश की प्रमुख नदियों के किनारे लगभग 3.5 करोड़ पौधों का रोपण का लक्ष्य रखा गया है। इस महा अभियान के तहत प्रदेश की प्रमुख नदियों गंगा, यमुना, गोमती, केन, बेतवा आदि के किनारे 5 किलोमीटर के क्षेत्र में पौधरोपण किया जाएगा। 

नदियों के किनारे हरित आवरण को बढ़ाना, प्रदूषण नियंत्रण, मृदा संरक्षण, जल संचयन के साथ नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम के लिए भी यह अभियान लाभदायक साबित होगा। प्रदेश में जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण संतुलन के कई विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। जिसमें एक ओर एक जुलाई से वन महोत्सव 2025 पौधरोपण का महा अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत वन विभाग प्रदेश की सभी प्रमुख नदियों के किनारे 21,313.52 हेक्टेयर क्षेत्र में 3,56,26,329 पौधों का रोपण करने का लक्ष्य तय किया गया है। 

साथ ही ये पौधरोपण महा अभियान नदियों के पुनर्रोद्धार कार्यक्रम को भी सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस अभियान के तहत गंगा, यमुना, सरयू, गोमती, केन, बेतवा, राप्ती, सोन, रामगंगा, छोटी गंडक, चंबल, हिंडन, और अन्य नदियों के किनारे 5 किलोमीटर के दायरे में पौधरोपण किया जाएगा। वन विभाग ने इसके लिए विस्तृत योजना तैयार की है, जिसमें कुल 23,772.45 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। 

अभियान के तहत यमुना नदी के किनारे सर्वाधिक 96,78,330 पौधे लगाए जाएंगे, जबकि गंगा के किनारे 54,80,994 और बेतवा के किनारे 50,61,251 पौधों का लक्ष्य रखा गया है। सरयू/घाघरा, गोमती, सई, केन, राप्ती, सोन, रामगंगा, छोटी गंडक, चंबल, और हिंडन नदियों के किनारे भी बड़े पैमाने पर पौधरोपण होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन महोत्सव-2025 को पेड़ लगाएं जीवन बचाएं नारे के साथ जन-आंदोलन का रूप देने का आह्वान किया है। 

जिसके तहत वन विभाग पूरे प्रदेश में अन्य विभागों के सहयोग से विशेष रूप से 09 जुलाई को रिकार्ड 37 करोड़ पौध रोपण का लक्ष्य रखा है। वन महोत्सव के तहत ही वन विभाग प्रदेश की सभी बड़ी नदियों के किनारे पौध रोपण करेगा। नदियों के किनारे पौधरोपण से मृदा अपरदन को रोकने में मदद मिलेगी, जिससे नदियों का जल प्रवाह सुचारू रहेगा। 

इसके साथ ही, पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधे रखती हैं, जिससे बाढ़ और भूस्खलन जैसी समस्याओं में कमी आती है। साथ ही पर्याप्त वर्षा जल संचयन से भूजल स्तर में सुधार होगा, जो कृषि और पेयजल उपलब्धता के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा पौधरोपण अभियान में फलदार और औषधीय पौधों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। 

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