मुरादाबाद : सोशल मीडिया बना रिश्तों में दूरी की दीवार, एक साल में 20 विवाद
परिवार परामर्श केंद्र में काउसलिंग के जरिए दंपती के बीच कराया जा रहा समझौता
मुरादाबाद, अमृत विचार। डिजिटल युग में सोशल मीडिया जहां एक ओर जानकारी का सशक्त माध्यम बन चुका है, वहीं दूसरी ओर यह पारिवारिक रिश्तों में दरार भी डाल रहा है। जिले में बीते एक वर्ष में सोशल मीडिया के अत्यधिक इस्तेमाल से जुड़ी लगभग 20 पारिवारिक विवाद सोशल मीडिया की वजह से हुए है। जिसमें अधिकांश मामले पति-पत्नी के बीच आपसी तनाव, शक, दूरी और झगड़े को लेकर थे। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए जहां बात तलाक तक पहुंच गई। हालांकि पुलिस ने समय रहते काउंसलिंग कराकर कई परिवारों को टूटने से बचा लिया।
मौजूदा समय में लोग सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा समय बिताते है। निजी बातचीत को नजरअंदाज करना और आभासी दुनिया में डूबे रहना आजकल विवाद का बड़ा कारण बन गया है। रिश्तों में संवाद की कमी, भरोसे में दरार और समय की उपेक्षा से कई परिवार तनावग्रस्त हो रहे हैं। लोग पूरा-पूरा दिन मोबाइल पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे है। सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल परिवार के बिखराव का कारण बन रहा है। लगभग एक साल में सोशल मीडिया के अत्यधिक इस्तेमाल से संबंधित लगभग 20 मामले पुलिस के सामने आए। हालांकि, ज्यादातर मामलों में पुलिस ने काउंसलिंग कर परिवारों में समझौता करा दिया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आज के समय में सोशल मीडिया के इस्तेमाल परिवारों के बीच विवाद ज्यादा बड़ रहा है। कई मामले ऐसे आए है कि सोशल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से पति-पत्नी के बीच विवाद हो गया। विवाद होने पर कई परिवार टूटकर बिखर जाते हैं। इसके कारण न केवल दंपतियों को, बल्कि पूरे परिवार को कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
सबसे ज्यादा मामले अवैध संबंधों के
पति-पत्नी के बीच सोशल मीडिया को लेकर सबसे ज्यादा विवादों का कारण अवैध संबंध बन रहे हैं। कई बार पुरुष या महिला का किसी अन्य से सोशल मीडिया के जरिए संपर्क बढ़ता है जो बाद में अवैध संबंध में बदल जाता है। ऐसे मामलों में जब दूसरे साथी को सच का पता चलता है तो झगड़ा, अलगाव और कभी-कभी घरेलू हिंसा जैसी स्थितियां बन जाती हैं। कुछ शिकायतें तो एफआईआर तक पहुंच चुकी हैं। हालांकि, पुलिस की पारिवारिक परामर्श इकाई ने काउंसलिंग के जरिए कई मामलों में सुलह करा दी है।
बच्चों पर भी असर, पढ़ाई में गिरावट व अनुशासनहीनता बढ़ी
सोशल मीडिया का बुरा असर सिर्फ बड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आकर पढ़ाई से विमुख होते जा रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चों के हाथ में मोबाइल आ गए, लेकिन अब वह पढ़ाई के बजाय इंस्टाग्राम, यूट्यूब और रील्स में खोए रहते हैं। अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि न सिर्फ बच्चों का शैक्षणिक प्रदर्शन गिरा है बल्कि उनमें चिड़चिड़ापन, अनुशासनहीनता और बाहरी दुनिया से कटाव जैसे लक्षण भी सामने आ रहे हैं।
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