परंपरागत धार्मिक रिवाजों में राज्य सरकार का हस्तक्षेप अनुचित, हाईकोर्ट ने बहराइच के सैयद सालार मसूद गाजी मेले पर की टिप्पणी

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Published By Deepak Mishra
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लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बहराइच के सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर सालाना लगने वाले उर्स, जिसे जेठ मेला भी कहा जाता है, के मामले में दिए गए आदेश में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि सामान्य परिस्थितियों में, वे सभी धार्मिक रिवाज जो लंबे समय से प्रचलित हैं, राज्य सरकार द्वारा छोटे-छोटे कारणों से रोकी नहीं जा सकतीं। विशेषकर तब जब कि ये प्रथाएं समाज में सांस्कृतिक सौहार्द को बढ़ावा देती हैं। 

अदालत ने कहा कि मामले में बीती 17 मई को पारित अंतरिम आदेश के तहत किए गए प्रबंधों के दौरान शांति और सौहार्द बना रहा, लिहाजा निर्धारित तिथियों में उर्स अथवा मेला के आयोजन को लेकर राज्य सरकार की सभी आशंकाएं भी निर्मूल सिद्ध हुई हैं। न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने यह आदेश वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ, बहराइच व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया।

याचिकाओं में दरगाह पर सालाना लगने वाले उर्स को जिलाधिकारी द्वारा अनुमति से इंकार को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर सुनवायी के बाद अदालत ने बीती 17 मई को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। साथ ही पारम्परिक क्रिया-कलाप जारी रखने की अनुमति दी थी।

याचिकाओं का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से मुख्य रूप से यह दलील दी गई थी कि दरगाह शरीफ़ के आसपास का क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है,यह नेपाल की खुली सीमा से सटा हुआ है, पहलगाम में पर्यटकों पर भयावह हमले को देखते हुये व भारत-नेपाल सीमा से आने-जाने वाली भीड़ के बीच राष्ट्रविरोधी और संदिग्ध तत्वों के घुसपैठ की प्रबल संभावना बनी रहती है।

राज्य की ओर से यह भी कहा गया था कि इन दिनों पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं, ऐसे में यदि आकस्मिक रूप से आपातकाल घोषित करना पड़े तो मेला क्षेत्र में भीड़ की उपस्थिति के कारण क्षेत्र को पूर्णतः ब्लैकआउट करना संभव नहीं होगा, जिससे प्रशासनिक चुनौतियां और अधिक जटिल हो सकती हैं।

न्यायालय ने याचिका को निस्तारित करते हुए अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार ने परिस्थितियों को देखते हुए और गोपनीय रिपोर्टों के आधार पर उर्स की अनुमति से इंकार किया था लेकिन अब वह आदेश अप्रभावी हो गया है, क्योंकि मेला अवधि समाप्त हो चुकी है।

इस न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम व्यवस्था, जिसमें धार्मिक रिवाजों के संपादन की अनुमति दी गई थी, ने राज्य सरकार की सभी आशंकाओं को समाप्त कर दिया है। अदालत ने दरगाह शरीफ की प्रबंधन समिति को भी निर्देशित किया कि भविष्य में उर्स तथा मेला का प्रबंधन प्रभावी ढंग से किया जाए तथा प्रवेश स्थलों व अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं।

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