धर्मांतरण विरोधी कानून होंगे सख्त: उत्तराखंड में सीएम धामी ने दिए अधिकारियों को निर्देश, तत्काल उठाए जरूरी कदम

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में धर्मांतरण के प्रयास की हाल की घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए अधिकारियों को धर्मांतरण विरोधी कानून को और सख़्त करने के सोमवार को निर्देश दिए। यहां सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मांतरण कराने वाले तत्वों के जाल में फंसे लोगों को उचित परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा, “हाल की घटनाओं को देखते हुए धर्मांतरण विरोधी कानून को और सख्त बनाए जाने की दिशा में तत्काल जरूरी कदम उठाए जाएं।” 

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस ने हाल में संयुक्त प्रयासों के तहत कथित रूप से धर्मांतरण कराने वाले छांगुर गिरोह से जुड़े छह लोगों को गिरफ्तार किया था। साधु-संतों का छद्म भेष धारण कर लोगों को ठगने तथा सनातन को बदनाम करने वालों को पकड़ने के लिए इस माह शुरू किए गए 'ऑपरेशन कालनेमि' का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे तत्वों पर लगाम लगाने में यह सफल रहा है। उन्होंने कहा कि इस मुहिम को आगे भी चलाए जाने की जरूरत है। 

धामी ने पुलिस मुख्यालय स्तर पर इस अभियान की निगरानी के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने पुलिस को संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश देते हुए कहा, 'उत्तराखंड सीमावर्ती प्रदेश होने के साथ ही सनातन की पुण्य भूमि भी है। इसलिए यहां जनसांख्यिकीय में बदलाव की किसी भी कोशिश को सख्ती से रोका जाए।” 

उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम बल, अनुचित प्रभाव, ज़बरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से जबरन धर्म परिवर्तन को रोकता है। इसे 2022 में संशोधित किया गया था। इस अधिनियम के तहत जबरन धर्म परिवर्तन एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है जिसके लिए तीन से दस साल की कैद और कम से कम 50,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, अदालत आरोपी को पीड़ित को पांच लाख रुपये तक का मुआवजा देने का आदेश भी दे सकती है।

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