सोने जैसी विरासत पर साहित्य की सुगंध... जानिए मुरादाबाद के साहित्सकारों की अनसुना इतिहास  

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Published By Muskan Dixit
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पीतलनगरी, मुरादाबाद में साहित्य सृजन दस्तावेजी होने के साथ रखता है अलग पहचान

मुरादाबाद, अमृत विचारः मुगल सम्राट शाहजहां के शासनकाल में सूबेदार रुस्तम खां द्वारा शहजादा मुराद के नाम से बसाया गया मुरादाबाद यूं तो देश-दुनिया में पीतलनगरी के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन यहां के साहित्यकारों के लेखन से भी शहर की पहचान तथा ख्याति समृद्ध रही है, चाहे वह हिन्दी साहित्य का क्षेत्र हो या उर्दू अदब की दुनिया। दोनों ही भाषाओं में महत्वपूर्ण साहित्य-सृजन  दस्तावेजी तो रहा ही है, अपनी एक अलग पहचान भी रखता है। साहित्यिक क्षेत्र में माहेश्वर तिवारी के नाम का पर्याय रहे मुरादाबाद ने जहां एक ओर लाला शालिगराम वैश्य, स्वरूप चन्द्र जैन, पं. बलबीर प्रसाद मिश्र, पं. ज्वालादत्त शर्मा, पं.पुरुषोत्तम व्यास, ज्वाला प्रसाद मिश्र, दुर्गादत्त त्रिपाठी, अम्बालाल नागर, कैलाश चन्द्र अग्रवाल ‘अधीर’, मदनमोहन व्यास, दयानन्द गुप्त, ललितमोहन भारद्वाज, सुरेन्द्रमोहन मिश्र, प्रो.महेन्द्र प्रताप, रामअवतार त्यागी, दुष्यंत कुमार, डॉ. कुंवर बेचैन, शचीन्द्र भटनागर, पुष्पेन्द्र वर्णवाल, दिग्गज मुरादाबादी, रामलाल अन्जाना, ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग, राजेन्द्र मोहन शर्मा श्रृंग, विख्यात व्यंग्य कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी एवं हुल्लड़ मुरादाबादी जैसे  महत्वपूर्ण रचनाकार हिन्दी साहित्य को दिए हैं।

जिगर मुरादाबादी ने शायरी को दिया नया मुकाम...

उर्दू साहित्य में मशहूर शायर जिगर मुरादाबादी के नाम से पहचाने जाने वाले अदबी शहर मुरादाबाद में गजल की यात्रा 17वीं शताब्दी में लाला नवलराय वफा की शायरी से शुरू होकर जकी मुरादाबादी, मदान अली खां राना, कमर मुरादाबादी, कैफ मुरादाबादी, सूफी अम्बा प्रसाद, किशन कुमार वकार, भगवत सरन मुमताज, काजी शौकत हुसैन, कियाफत अली काफी, गौहर उस्मानी, सतीश फिगार, शाहिद अहसन, सलीम कैफी, दिलकश आफरीदी, हैरत मुरादाबादी, शहाब मुरादाबादी, गगन भारती, जावेद रशीद आमिर, डॉ.मीना नकवी से होती हुई वर्तमान तक पहुंची है। 

विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रहीं साहित्य पर लिखी पुस्तकें 

वर्तमान हिंदी साहित्यकारों में जहां हिन्दी के प्राध्यापक रहे डॉ. रामानन्द शर्मा द्वारा रीतिकालीन काव्य के सन्दर्भ में लिखी गयीं कई पुस्तकें विदेशों के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही हैं, वहीं शताधिक मौलिक कृतियां लिखने वाले डॉ. महेश दिवाकर एवं डॉ. राकेश चक्र सहित चारों वेदों का काव्यानुवाद करने वाले साहित्यकार डा. अजय अनुपम, बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना, साहित्यकार अशोक विश्नोई, हिन्दी और अंग्रेजी में समानरूप से सृजन करने वाले  कवि डॉ. आरसी शुक्ल, योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई, डॉ. प्रेमवती उपाध्याय, डॉ. पूनम बंसल, डॉ. अर्चना गुप्ता, वीरेन्द्र सिंह वृजवासी, श्रीकृष्ण शुक्ल व नई पीढ़ी के मयंक शर्मा, राजीव प्रखर, जितेन्द्र जौली, हेमा तिवारी भट्ट, मीनाक्षी ठाकुर, दुष्यंत बाबा, कमल शर्मा, ममता सिंह, कंचन खन्ना, प्रशांत मिश्र, अमर सक्सेना, अभिव्यक्ति सिन्हा, राघव गुप्ता भी मुरादाबाद के साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं, तो मुरादाबाद के साहित्यिक इतिहास पर शोध करने वाले डॉ. मनोज रस्तोगी एनसाइक्लोपीडिया जैसे हैं।

गजल की भी समृद्ध परंपरा ने भी प्रतिष्ठा व पहचान दी

मुरादाबाद को गजल की समृद्ध परंपरा ने प्रतिष्ठा और पहचान दी है। मशहूर शायर मंसूर उस्मानी के सृजन से निरंतर पुष्ट हो रही गजल की खुशबूदार यात्रा मशहूर शायर ज़मीर दरवेश साहब, निजाम हातिफ, कमर कदीर इरम, अनवर कैफी, डॉ.कृष्ण कुमार नाज, ओमकार सिंह ओंकार, डॉ. मुजाहिद फराज, रिफत मुरादाबादी, कशिश वारसी, जिया जमीर तक की वरिष्ठ पीढ़ी और फरहत अली, नूररुज्जमा नूर, राहुल शर्मा, मनोज मनु, अंकित गुप्ता अंक, मोनिका मासूम, राशिद हुसैन, आरिफा मसूद अम्बर, सुल्तान अजहर, अहमद मुरादाबादी की नयी पीढ़ी तक आती है। 
           
प्रस्तुति - योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', नवगीतकार,
मुरादाबाद।

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