इलाहाबाद हाईकोर्ट में रोस्टर बदलाव, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार अब सुनेंगे दीवानी मामले
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रशासनिक पुनर्गठन के तहत बड़ा बदलाव किया गया है। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार को न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा के साथ नई खंडपीठ में शामिल किया गया है। यह पीठ 11 अगस्त 2025 से प्रभावी हो गई है और अब सिविल मामलों की सुनवाई करेगी, जिनमें पारिवारिक न्यायालय की अपीलें, माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण अधिनियम, 2007 से जुड़ी याचिकाएं और कुछ रिट याचिकाएं शामिल हैं। आपराधिक मामलों को इस पीठ के दायरे से बाहर रखा गया है।
यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब 4 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार के एक आदेश की कड़ी आलोचना की थी। मामला मेसर्स शिखर केमिकल्स की याचिका से जुड़ा था, जिसमें मई 2025 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाणिज्यिक विवाद में आपराधिक कार्यवाही समाप्त करने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को विपक्षियों को नोटिस दिए बिना ही रद्द कर दिया और मामले को पुनर्विचार के लिए हाईकोर्ट भेजते हुए न्यायमूर्ति कुमार को सेवानिवृत्ति तक वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ बैठने का निर्देश दिया था।
हालांकि, 8 अगस्त 2025 को भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के हस्तक्षेप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश से विवादित भाग हटा दिया और स्पष्ट किया कि न्यायमूर्ति कुमार को शर्मिंदा करने का कोई इरादा नहीं था। अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय अलग-थलग संस्थान नहीं हैं, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र की गरिमा बनाए रखना ही उद्देश्य है।
मुख्य बिंदु
- 11 अगस्त से नई खंडपीठ में बैठेंगे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार
- सिविल मामले, पारिवारिक अपील और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण याचिकाओं की होगी सुनवाई
- सुप्रीम कोर्ट ने पहले हाईकोर्ट के आदेश को ‘गलत’ बताते हुए रद्द किया था
- मुख्य न्यायाधीश के हस्तक्षेप से विवादित टिप्पणी वापस ली गई
यह भी पढ़ें- प्रयागराज : दुश्मन के दुश्मन दोस्त हो सकता है, हत्या में साझेदार नहीं
