विश्व अंगदान दिवस आज, राजधानी में 12 हजार लोगों को अंगदान का इंतजार

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Published By Anjali Singh
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लखनऊ, अमृत विचार : राजधानी में लगभग 12000 मरीज अंगदान की प्रतीक्षा में है। इसमें 2000 से अधिक किडनी, 1500 से ज्यादा लिवर और 200 से ज्यादा गंभीर फेफड़ा रोगी हैं। बाकी कॉर्निया ट्रांसप्लांट के मरीज हैं। इनमें ज्यादातर मरीज केजीएमयू, लोहिया व पीजीआई में पंजीकृत हैं। ये जानकारी संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के डॉ. हर्षवर्धन ने विश्व अंगदान दिवस पर साझा की।

डॉ. हर्ष वर्धन ने प्रदेश में करीब 50 हजार लोग अंगदान के इंतजार हैं। इसमें 90 प्रतिशत मरीज लिवर व किडनी के हैं। अंगदान की कमी से प्रदेश में औसतन प्रतिदिन 183 लोगों की जान जा रही है। उन्होंने कहा कि राहत की बात ये है कि पिछले कुछ वर्षों से अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है। अंगदान के लिए लोग आगे आ रहे हैं।

पीजीआई में 400 मरीजों किडनी प्रत्यारोपण के इंतजार में

पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. नारायण प्रसाद ने बताया कि विभाग में अब तक 3800 किडनी मरीजों का सफल प्रत्यारोपण हो चुके हैं। करीब 400 मरीज वेटिंग में हैं। पीजीआई में इन मरीजों को ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई हैं। अंगदान से किडनी मरीजों की जान बचाई जा सकती है।

किडनी दान करने में महिलाएं आगे

एसजीपीजीआई से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक एक साल के भीतर 111 महिलाओं ने किडनी डोनेट की है। जबकि ऐसा करने वाले पुरुष सिर्फ 16 हैं। इन महिलाओं ने पति, बेटों, बेटियों को किडनी दान की है।

लोहिया में 15 को गुर्दा प्रत्यारोपण की 15 आस

लोहिया संस्थान के नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अभिलाष चन्द्रा ने बताया कि संस्थान में अब तक 225 मरीजों का सफल गुर्दा प्रत्यारोपण किया जा चुका है। 15 मरीजों का पंजीकरण कराया गया है। डोनर मिलते ही प्रत्यारोपण किया जाएगा।

ब्रेन डेड को माना जाए मौत तो बढ़ेंगे अंगदान

पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. नारायण प्रसाद का कहना है कि अंगदान के प्रति जागरूकता की कमी है। जैसे कार्डियक अरेस्ट के बाद डॉक्टरों द्वारा किसी की मृत्यु घोषित की जाती है उसी तरह ब्रेन डेड होने पर भी अगर मृत्यु घोषित करने का डॉक्टरों को अधिकार मिल जाए तो ब्रेन डेड होने से अंगदान के केस और बढ़ सकते हैं। ब्रेन डेड में भी हृदय मृत्यु के समान मृत्यु हो जाती है। मस्तिष्क मृत्यु के बाद कोई भी जीवित नहीं बचता। सरकार को सभी अस्पतालों और आईसीयू में ब्रेन डेड प्रमाणन को अनिवार्य बनाना चाहिए। प्रत्येक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मृतक जागरूकता के लिए एक विंग होना चाहिए जिससे ब्रेन डेड बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके।

वर्ष           किडनी             लिवर
2020              187               23
2021              312             65
2022              300               153
2023              454                  141

(अंगदान के ये आंकड़े यूपी के हैं। इसमें ब्रेन डेड व लाइव दोनों हैं)

 
कौन-कौन से अंग दान किए जा सकते हैं

जीवित रहते हुए: एक किडनी, लिवर का हिस्सा, बोन मैरो, रक्त

मृत्यु के बाद: हृदय, फेफड़े, आंखें, त्वचा, यकृत, किडनी, अग्न्याशय आदि

अंगदान क्यों जरूरी है

हर साल लाखों लोग अंग न मिलने की वजह से मर जाते हैं।

एक अंगदाता 8 लोगों की जान बचा सकता है।

अंगदान सबसे बड़ा मानव सेवा का कार्य माना जाता है।

कैसे बनें अंगदाता

भारत में अंगदान करने का कोई भी इच्छुक व्यक्ति नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन की वेबसाइट पर जाकर अंगदान के लिए पंजीकरण कर सकते हैं। पंजीकरण कराने के बाद अपने परिवार को इसकी जानकारी जरूर दें।

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