वायरल डेंगू और मलेरिया से बचाएगी वाशेबल मच्छरदानी, बारिश के मौसम में बाजारों में बढ़ी डिमांड, जानिए कीमत

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
On

अमित पांडेय, अमृत विचारः बारिश का मौसम हो। ऐसे में बरसात के पानी से बचाव के लिए सबसे ज्यादा काम आने वाली छतरी और रेनकोट की बात न हो तो ठीक नहीं लगता। जलभराव में पनपने वाली मच्छर जनित बीमारियों के लिए भी बाजार में तैयारियां हैं। ऐसी-ऐसी वॉशेबिल और डिजाइनर मच्छरदानियां हैं जिनमें प्रवेश करना मच्छरों के बस की बात नहीं। डेंगू, मलेरिया, चिकन गुनिया, टाईफाइड जैसी बीमारियों से बचाव के लिए आई यह वॉशेबिल और डिजाइनर मच्छरदानियां लोगों को खूब पसंद आ रही हैं।

सिंगल से थ्री बेड तक की मच्छरदानियां

सिंगल बेड या तख्त पर रात गुजारनी है तो बाजार में सिंगल मच्छरदानी है अगर डबल बेड या फिर तीन बेड साथ हैं तो भी चिंता की कोई बात नहीं। बस ऊपर डोरी की मदद से लटका दें। मजाल है कि कोई भी मच्छर उसे पारकर बेड के अंदर फटक पाए। इसे लगाना भी काफी आसान है। 

खास बात यह है कि ये मच्छरदानियां वॉशेबिल होने के कारण लंबे समय तक उपयोग में लाई जा सकती हैं। कैपको कूल, ‘कैपको टाइगर’, ‘कैपको मिस इंडिया’ ‘कैपको स्टार’ जैसी वैरायटी की मच्छरदानियों को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। विक्रेता अतुल कपूर के अनुसार कॉटन मच्छरदानियों की डिमांड सबसे अधिक है क्योंकि यह आरामदायक और टिकाऊ होती हैं।

मच्छरदानी, रेनकोट, छतरी की वैरायटी- कीमत रुपयों में

कैपकी सिंगल बेड- 200 से शुरू होकर 1,700 तक

डबल बेड- 300 से 2,100 तक

रेनकोट, रेनसूट- 600 से 1,800 तक

छाता लेडीज, जेंट्स- 100 से 700 तक

बारिश से बचाव के रेनकोट, छाते की भी डिमांड

बरसात में भीगने से बचाने वाले रेनकोट, रेनसूट की बिक्री भी तेजी से बढ़ी है। खास तौर पर स्कूली बच्चों और दोपहिया वाहन से चलने वालों के लिए तमाम वैरायटी बाजार में हैं। कपूर बताते हैं कि पहले कमजोर तीलियों पर पानी से बचाव वाला कपड़ा छाते पर मढ़ा जाता था। जो अक्सर हवाओं में पलट जाते थे। उन्हें रुककर ठीक किया जाता था और आगे से झुकाव कर धीरे-धीरे आगे बढ़ा जाता था। लेकिन समय के साथ ही इन तीलियों में मजबूती आई। मजबूत आधार पर बने छाते अब हवाओं में पलटते नहीं हैं। तूफान और आंधी की बात नहीं कह सकते लेकिन पहले की अपेक्षा क्वालिटी बेहतर हुई है। इनकी कीमत भी ज्यादा नहीं है। एक बार ले लिया कई बरस काम चलता है। पहले एक सूट खरीद ली और उसी से घर के लोग मौके पर इसका उपयोग करते थे लेकिन अब मच्छरदानी, छाते और रेनकोट जैसे उत्पादों की खरीदारी लोगों की प्राथमिकता में शामिल हो गई है।

डक बैक के ओवरकोट अब चलन में नहीं

विक्रेता का कहना है कि बारिश के सीजन में धीरे-धीरे डकबैक का ओवरकोट अब चलन से बाहर हो गया है। पहले इसकी खूब डिमांड थी। बड़े लोग इस ओवरकोट को कपड़ों के ऊपर धारण कर सिर पर हैट लगाकर दोपहिया वाहनों से चलते थे। लेकिन अब यह आम लोगों की पकड़ से बाहर हैं।

ये भी पढ़े : इटर्नल ने अपने कर्मचारियों को दिया तोहफा, 3 साल में कभी भी ले पाएंगे 26 weeks का Maternity Leave

संबंधित समाचार