एआई और इंजीनियरिंग से बदलेगा इलाज का तरीका, डॉक्टरों ने खोजी नई राह”
आईआईटी कानपुर में राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी का सम्मेलन, विशेषज्ञ बोले– सुलभ इलाज के लिए डॉक्टर और इंजीनियर मिलकर करें काम
कानपुर, अमृत विचार : तकनीक और चिकित्सा का संगम स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा देगा। रोजमर्रा की समस्याओं से लेकर गंभीर बीमारियों के निदान तक डॉक्टरों और इंजीनियरों को मिलकर सुलभ इलाज की राह खोजनी होगी। यही संदेश मंगलवार को आईआईटी कानपुर में आयोजित मिड-टर्म कॉन्फ्रेंस मीडनेम्स कॉन 2025 और सीएमई वर्कशॉप से निकला। इस आयोजन में 70 से अधिक विशेषज्ञों और प्रोफेसरों ने भाग लिया, जबकि 200 से ज्यादा प्रतिभागियों की मौजूदगी रही।
एआई और बायोइंजीनियरिंग से बदलेगा हेल्थ सेक्टर : नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज के अध्यक्ष प्रो. दिगंबर बेहरा ने कहा कि डॉक्टर और इंजीनियर मिलकर स्वास्थ्य क्षेत्र में सरल व सुलभ समाधान दे सकते हैं।
आईएनएसए अध्यक्ष प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि एआई और बायोइंजीनियरिंग भारत के हेल्थटेक सेक्टर के लिए परिवर्तनकारी तकनीक हैं, जो देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को आगे बढ़ाने में इंजन का काम करेंगी।
“एआई उपकरण है, मानव बुद्धि का विकल्प नहीं” : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने कहा कि एआई से सर्जरी और कई प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा सकता है। पर यह मानव बुद्धि का विकल्प नहीं है। इंजीनियरों और डॉक्टरों को मिलकर ऐसे नवाचार करने चाहिए, जिनसे सीधे मरीजों को लाभ पहुंचे।
“ऐसे समाधान चाहिए जो लैब से सीधे मरीज तक पहुंचें” : आईआईटी कानपुर निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि जटिल स्वास्थ्य चुनौतियों का हल डॉक्टरों और इंजीनियरों के संयुक्त प्रयास से ही निकलेगा। ऐसे समाधान चाहिए, जो लैब से सीधे मरीज तक पहुंचें और बड़े पैमाने पर लागू किए जा सकें।
बड़ी हस्तियां रहीं मौजूद : सम्मेलन में डॉ. जीपी तलवार (पद्म भूषण), डॉ. एनके गांगुली (पूर्व महानिदेशक, आईसीएमआर), डॉ. विश्व मोहन कटोच, प्रो. यशपाल गुप्ता (एम्स जम्मू), प्रो. एसएन संखवार (बीएचयू), प्रो. राकेश अग्रवाल (एसजीपीजीआई लखनऊ) समेत देशभर के दिग्गज विशेषज्ञ शामिल हुए।
