स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 : देश के टॉप 10 साफ हवा वाले शहरों में बरेली शामिल
बरेली, अमृत विचार। शहर की हवा को बेहतर बनाने के प्रयासों का इनाम बरेली को मिला है। केंद्र सरकार के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 में बरेली देश के हवा की गुणवत्ता में सुधार करने वाले टॉप 10 शहरों में चुना गया है। बरेली देशभर में सातवें स्थान पर रहा है। 2024 के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में बरेली को 18वें स्थान पर रहा था। यह रैंकिंग राष्ट्रीय स्वच्छ वायु मिशन (एनसीएपी) के तहत 130 शहरों में किए कार्यों और वायु गुणवत्ता में हुए सुधार के आधार पर दी गई है।
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से 2022 में स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की शुरुआत की गई थी। इसके तहत नगर निगमों को वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए धनराशि भी मुहैया कराई जाती है। इसमें कचरा निस्तारण, सड़क पर उड़ते धूल कणों, निर्माण कार्यों की वजह से उड़ने वाली धूल में कमी के साथ ही कुल आठ मानकों पर स्वच्छ वायु प्रदूषण की जांच होती है। नगर निगम के अधिकारी बताते हैं शहरी कार्य योजना के तहत किए गए सुधारात्मक कार्यों ने इस रैंकिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इनमें नियमित सड़क सफाई और धूल नियंत्रण, कचरा प्रबंधन में सुधार, सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा और वाहनों के प्रदूषण पर नियंत्रण शामिल हैं। रैंकिंग का मूल्यांकन शहरी स्थानीय निकाय की ओर से प्रस्तुत स्व-मूल्यांकन रिपोर्ट और सहायक दस्तावेजों के आधार पर किया गया। इसके बाद संबंधित राज्य की वायु गुणवत्ता निगरानी समिति ने जांच की और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एमओईएफएंडसी के दिशा निर्देशों के आधार पर अंतिम रैंकिंग जारी की। पर्यावरण अभियंता राजीव कुमार राठी ने बताया कि पूरा मूल्यांकन प्राण पोर्टल पर दर्ज की गई जानकारियों के आधार पर किया गया।
आठ बिंदुओं के आधार पर किया गया मूल्यांकन
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 में देश के 130 शहरों को उनके वायु गुणवत्ता सुधार प्रयासों के आधार पर आंका गया। यह सर्वेक्षण न केवल हवा की गुणवत्ता को मापता है, बल्कि हवा को खराब करने वाले स्रोतों को नियंत्रित करने के प्रयासों का भी मूल्यांकन करता है। जिन 8 प्रमुख बिंदुओं के आधार पर मूल्यांकन किया गया। इनमें सड़क की धूल, वाहनों से होने वाला प्रदूषण और ठोस कचरे का जलना सबसे प्रमुख रहे। इसके आधार पर कुल स्कोर तैयार किया गया।
जारी रैंकिंग में बॉयोमास और ठोस कचरा जलाना 20 प्रतिशत, सड़क की धूल 20 प्रतिशत, निर्माण और ध्वस्तीकरण से उड़ने वाली धूल 5 प्रतिशत, वाहनों से होने वाला प्रदूषण 20 प्रतिशत, उद्योगों से निकलने वाला धुआं 15 प्रतिशत, अन्य स्रोतों से प्रदूषण 15 प्रतिशत, जन जागरूकता और अन्य अभियान 2.5 प्रतिशत, पीएम 10 स्तर में सुधार पर 2.5 प्रतिशत का वेटेज मिला है
42 शहरों के साथ था बरेली का मुकाबला
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण के लिए अवार्ड को तीन केटेगरी में विभाजित किया गया था। पहला 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए है। इसमें 48 शहर शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में तीन लाख से 10 लाख आबादी वाले शहर हैं। इस कटेगरी में बरेली, मुरादाबाद और नोएडा समेत 42 शहर शामिल थे। इन्हीं शहरों के साथ मुकाबले में बरेली ने सातवां स्थान हासिल किया। वहीं, तीसरी श्रेणी तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों की थी, जिसमें 40 शहर शामिल रहे।
टॉप 10 शहरों (3-10 लाख आबादी) की रैंकिंग
शहर अंक स्थान
अमरावती 200 पहला
मुरादाबाद 198.5 दूसरा
झांसी 198.5 दूसरा
अलवर 197.6 तीसरा
भुवनेश्वर 196.5 चौथा
गोरखपुर 195 पांचवां
फिरोजाबाद 195 पांचवां
गुंटूर 192 छठा
बरेली 189.5 सातवां
उल्हासनगर 187.5 आठवां
नोएडा 184.2 नवां
कटक 182.5 दसवां
नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने बताया कि देशभर के शहरों में टॉप-10 में जगह बनाना एक बड़ी उपलब्धि है। हमारा प्रयास टॉप तीन शहरों में शामिल होना है। हमने इस बार सड़क की नियमित सफाई, कचरा प्रबंधन, धूल नियंत्रण और वाहनों से निकलने वाले धुएं पर निगरानी जैसे कई ठोस कदम उठाए हैं। नगर निगम के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों और जनता ने खूब सहयोग किया।
बरेली को वायु गुणवत्ता में सुधार में ऐसे मिली सफलता
- पक्की सड़कें-लगभग 96.81 किलोमीटर की एंड-टू-एंड पेवमेंट पक्की सड़कों से धूल का स्तर घटा और शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- वृक्षारोपण और शहरी वन- शहर की प्रमुख सड़कों के किनारे लगभग 44.96 एकड़ में वृक्षारोपण और मियावाकी पद्धति से स्थानीय स्तर पर शहरी वन विकसित किए गए।
- नियमित सड़क सफाई- मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनों द्वारा प्रतिदिन लगभग 50 किलोमीटर शहर की मुख्य सड़कों की नियमित सफाई की जाती है।
- धूल नियंत्रण- दो एंटी स्मॉग गन और वाटर स्प्रिंकलर मशीनें तैनात की गई हैं जो धूल को कम करने में मदद करती हैं।
- हरित क्षेत्र विकास - वनखंडीनाथ वटिका और सुभाषनगर वाटिका का सौंदर्यीकरण कर हरित क्षेत्र के रूप में विकास किया गया है।
-ग्रीन फ्यूल श्मशान घाट - ग्रीन फ्यूल श्मशान घाट की स्थापना की गई है जो पारंपरिक श्मशान घाटों की तुलना में पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल है।
-जन जागरूकता-एनकैप की टीम शहर में जन जागरूकता, प्लास्टिक उन्मूलन, वृक्षारोपण, वेस्ट वॉर्निंग आदि आयोजित कर रही हैं।
-परिणाम- दावा है कि उक्त प्रयासों से बरेली में पीएम10 के स्तर में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, जो शहर के लिए बेहतर और स्वस्थ भविष्य की ओर संकेत करता है।
