इसरो ने रचा इतिहास : 'बाहुबली' रॉकेट ने सबसे भारी उपग्रह को कक्षा में किया स्थापित, PM मोदी व उपराष्ट्रपति ने दी बधाई
नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में रविवार की शाम एक नया अध्याय जुड़ा, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा से ‘बाहुबली’ नाम के LVM3-M5 रॉकेट के जरिए भारतीय नौसेना के लिए अपना अब तक का सबसे भारी CMS-03 (GSAT-7R) कम्युनिकेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च कर इतिहास रच दिया। यह रॉकेट कई उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा, जिससे भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमता और बढ़ेगी।
https://twitter.com/isro/status/1984975935364616534
CMS-03 (GSAT-7R) क्या है ये सैटेलाइट?
GSAT-7R एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, यानी ये संचार का माध्यम बनेगा। यह पूरी तरह से भारत में ही डिजाइन और बनाया गया है। यह सैटेलाइट नौसेना के जहाजों, हवाई जहाजों, पनडुब्बियों और समुद्री ऑपरेशंस सेंटर्स के बीच तेज और सुरक्षित संचार करेगा।
सैटेलाइट की तकनीकी विशेषताएं
वजन और साइज : 4400 किलोग्राम वजन वाला यह सैटेलाइट भारत का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। इससे पहले के सैटेलाइट इससे हल्के थे।
ट्रांसपोंडर्स : इस सैटेलाइट के अंदर के संचार उपकरण हैं। ये आवाज (वॉइस), डेटा और वीडियो लिंक को कई तरह के बैंड्स (फ्रीक्वेंसी रेंज) पर सपोर्ट करेंगे। यानी, नौसेना के लोग जहाज पर हों या हवा में, आसानी से बातचीत कर सकेंगे।
कवरेज एरिया : यह भारतीय महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) में मजबूत टेलीकम्युनिकेशन कवरेज देगा। यानी, हिन्द महासागर के बड़े हिस्से में सिग्नल मजबूत रहेगा।
हाई-कैपेसिटी बैंडविड्थ : यह सैटेलाइट ज्यादा डेटा ट्रांसफर करेगा। इससे जहाजों, विमानों, पनडुब्बियों और कंट्रोल सेंटर्स के बीच सुरक्षित और बिना रुकावट वाला कनेक्शन बनेगा। इन सबके कारण नौसेना को समुद्र में अपनी मौजूदगी और मजबूत होगी। यदि कोई खतरा आए तो तुरंत जानकारी मिल जाएगी।
राष्ट्र की समुद्री हितों की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम
आज के समय में समुद्री सुरक्षा की चुनौतियां बहुत बढ़ गई हैं। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की वजह से हिन्द महासागर में तनाव रहता है। GSAT-7R नौसेना को अंतरिक्ष से नजर रखने और तुरंत काररवाई करने की ताकत देगा। नौसेना के चीफ ने कहा है कि ये सैटेलाइट राष्ट्र की समुद्री हितों की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम है।
संचार मजबूत : पहले सैटेलाइट्स से कम्युनिकेशन सीमित था। अब यह ज्यादा तेज और सुरक्षित होगा।
निगरानी बढ़ेगी : समुद्री इलाके में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखना आसान हो जाएगा।
आत्मनिर्भरता : यह सैटेलाइट 100% भारतीय तकनीक से बना है। इससे हम विदेशी सैटेलाइट्स पर निर्भर नहीं रहेंगे।
https://twitter.com/narendramodi/status/1984972036037288219
PM मोदी व उपराष्ट्रपति ने दी बधाई
इसरो की इस सफलता पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने रविवार को भारतीय धरती से सबसे भारी संचार उपग्रह के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी। मोदी ने इसरो द्वारा एलवीएम-3 रॉकेट के जरिए 4,410 किलोग्राम वजनी सीएमएस-03 उपग्रह को भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किए जाने के तुरंत बाद वैज्ञानिकों की सराहना की।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र हमें गौरवान्वित करता रहता है! भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह सीएमएस-03 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को बधाई।’’ उपग्रह को वांछित कक्षा में स्थापित करने के अलावा, इसरो के वैज्ञानिकों ने उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के बाद सी-25 क्रायोजेनिक इंजन के ‘थ्रस्ट चैम्बर’ को पुनः प्रज्वलित करने का भी प्रदर्शन किया। यह प्रयोग इसरो की क्रायोजेनिक चरण को पुनः शुरू करने में मदद करेगा तथा उसे विभिन्न कक्षाओं में उपग्रहों को स्थापित करने में लचीलापन प्रदान करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह सराहनीय है कि हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की बदौलत हमारा अंतरिक्ष क्षेत्र उत्कृष्टता और नवाचार का पर्याय बन गया है। उनकी सफलताओं ने राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाया है और अनगिनत लोगों को सशक्त बनाया है।’’
उपग्रह प्रक्षेपण की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसरो अंतरिक्ष अन्वेषण में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रहा है। राधाकृष्णन ने कहा, ‘‘इसरो और भारतीय नौसेना को हार्दिक बधाई! भारत का शक्तिशाली एलवीएम3-एम5 रॉकेट एक बार फिर आसमान में गरजा, जब जीसैट-7आर (सीएमएस-03) का सफल प्रक्षेपण हुआ। यह भारतीय नौसेना के लिए सबसे भारी और सबसे उन्नत संचार उपग्रह है, जिसे भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित किया गया।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘स्वदेशी रूप से विकसित यह उपग्रह हिंद महासागर क्षेत्र में अंतरिक्ष-आधारित संचार, संपर्क और समुद्री क्षेत्र जागरूकता को मजबूत करेगा, जो आत्मनिर्भर भारत में एक और गौरवपूर्ण मील का पत्थर होगा।’’ इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी अगले पांच महीनों में सात प्रक्षेपण मिशन करने की योजना बना रही है।
भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीएमएस-03 उपग्रह भारत की समुद्री और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा कि उन्नत, सुरक्षित संचार चैनल प्रदान करेगा, जो हिंद महासागर क्षेत्र और मुख्य भूमि के लिए महत्वपूर्ण है।
भट्ट ने कहा, ‘‘इसरो द्वारा किया गया प्रक्षेपण न केवल हमारी रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करता है, बल्कि हमारे देश की अंतरिक्ष परिसंपत्तियों के निर्माण और समर्थन में निजी उद्योग की भागीदारी के लिए एक जीवंत भविष्य का संकेत भी देता है, जो एक मजबूत अंतरिक्ष शक्ति के रूप में हमारी स्थिति को मजबूत करता है।’’
