प्रयागराज : समय निर्धारित न हो तो पासपोर्ट केवल एक वर्ष के लिए ही मान्य

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पासपोर्ट की वैधता को लेकर कहा कि यदि सक्षम आपराधिक न्यायालय पासपोर्ट जारी करने की अनुमति दे, लेकिन अवधि निर्दिष्ट न करे, तो पासपोर्ट प्राधिकरण केवल एक वर्ष के लिए वैध पासपोर्ट जारी कर सकता है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजीत कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने  पीलीभीत के रहीमुद्दीन की याचिका खारिज करते हुए की। 

रहीमुद्दीन ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दी गई अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के आधार पर दस वर्ष के लिए पासपोर्ट पुनः जारी करने की मांग की थी, जबकि उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 447 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 के तहत आपराधिक मामला लंबित है। सीजेएम कोर्ट से एनओसी मिलने पर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, बरेली ने एक वर्ष की वैधता (20 जनवरी 2025 से 19 जनवरी 2026) वाला पासपोर्ट जारी किया था। याची ने तर्क दिया कि अनुमति मिलने के बाद पासपोर्ट अधिनियम, 1967 में निर्धारित पूर्ण अवधि लागू होनी चाहिए। परंतु पासपोर्ट प्राधिकरण ने विदेश मंत्रालय की 25 अगस्त 1993 की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि जब न्यायालय अवधि नहीं बताता, तब पासपोर्ट केवल एक वर्ष के लिए जारी किया जा सकता है।

कोर्ट ने मंत्रालय की अधिसूचना, पासपोर्ट अधिनियम और नियमों का परीक्षण कर कहा कि यदि न्यायालय आदेश में अवधि निर्दिष्ट नहीं करता, तो पासपोर्ट की वैधता स्वतः एक वर्ष तक सीमित रहेगी। आगे कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पासपोर्ट आवेदक देरी की स्थिति में पहले नोटिस का जवाब दें और आवश्यक एनओसी या अनुमति प्राप्त करें। पासपोर्ट कार्यालय किसी भी परिस्थिति में आवेदन लंबित न रखे और एनओसी मिलने के एक माह के भीतर निस्तारित करे। पुलिस विभाग पासपोर्ट सत्यापन रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करे। अंत में कोर्ट ने इस फैसले की प्रति उत्तर प्रदेश के सभी क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों और राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को अनुपालन हेतु भेजने का निर्देश दिया।

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