बिहार की सियासत में नया मोड़: नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा सौंपा, अगला चेहरा कौन?

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Published By Muskan Dixit
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बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के महज तीन दिन बाद, 17 नवंबर को जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। इस कदम से राज्य की मौजूदा सरकार का सफर समाप्त हो गया है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए नीतीश से नई सत्ता गठन तक कार्यवाहक सीएम के रूप में बने रहने का अनुरोध किया है। इस्तीफे से ठीक पहले उन्होंने अंतिम कैबिनेट बैठक बुलाई, जिसमें मंत्रीपरिषद भंग करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

बैठक खत्म होते ही नीतीश राजभवन पहुंचे और अपना त्यागपत्र सौंप दिया, जिससे वर्तमान प्रशासन औपचारिक रूप से विघटित हो गया। 14 नवंबर को घोषित चुनाव परिणामों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने जबरदस्त जीत हासिल की, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख महागठबंधन को अपेक्षा से कहीं कम सफलता मिली।

अब राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर अटकलें तेज हैं। आंकड़ों के आधार पर, भाजपा को सबसे ज्यादा विधायकी मिलने के बावजूद नीतीश कुमार ही अगले मुख्यमंत्री बनने के दावेदार बने हुए हैं। अनौपचारिक जानकारी के अनुसार, 20 नवंबर को वे दसवीं बार इस पद की शपथ ले सकते हैं, साथ ही 31 अन्य मंत्रियों के साथ नई मंत्रिपरिषद का विस्तार हो सकता है। शपथ समारोह पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित होने की संभावना है, जिसमें एनडीए शासित अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी भी तय मानी जा रही है।

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केंद्रीय मंत्री व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के मुखिया जीतन राम मांझी ने नई सरकार के संदर्भ में खुलासा किया कि कुल 35-36 मंत्रियों वाली कैबिनेट बनेगी। इसमें भाजपा को 15-16, जेडीयू को 13-14, एलजेपी (आरवी) को 3, जबकि हम (एस) व राष्ट्रीय लोक मोर्चा से क्रमशः एक-एक प्रतिनिधि शामिल होंगे। मांझी ने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी को मिलने वाले अवसरों से वे संतुष्ट रहेंगे, कोई अतिरिक्त दबाव नहीं डालेंगे।

नीतीश कुमार का इस्तीफों का इतिहास: बार-बार सत्ता परिवर्तन

नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। उन्होंने पहली बार 2000 में मुख्यमंत्री पद संभाला। इसके बाद 2005-2010 और 2010-2014 तक भाजपा के सहयोग से शासन चलाया। 2014 लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया, जिसके फलस्वरूप जीतन राम मांझी सीएम बने।

2015 में वे फिर सत्ता में लौटे, इस बार आरजेडी, हम व कांग्रेस के समर्थन से। उस चुनाव में उन्होंने भाजपा व पीएम मोदी के विरुद्ध तीखा चुनावी अभियान चलाया, जिसके चलते महागठबंधन को 80 (जेडीयू) व 71 (आरजेडी) सीटें नसीब हुईं। इसी दौर में तेजस्वी यादव पहली बार उपमुख्यमंत्री बने।

2017 में तेजस्वी पर भ्रष्टाचार के इल्जाम लगने पर नीतीश ने उनसे इस्तीफे की मांग की, लेकिन आरजेडी के अस्वीकार पर उन्होंने खुद त्यागपत्र सौंप दिया। कुछ ही घंटों में वे एनडीए में लौट आए और भाजपा के साथ नई सरकार गठित की।

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