Bareilly : बिहार में बरेलवी मुसलमानों की वजह से हारा महागठबंधन, शहाबुद्दीन ने समझाया नीतीश की जीत का गणित
बरेली, अमृत विचार। ऑल इंडिया मुस्लिम जामत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने बिहार में महाबंधन की हार और एनडीए की जीत का नया एंगल खोज निकाला है, शहाबुद्दीन के मुताबिक बिहार में नीतीश को बरेलवी मसलक पर अकीदा रखने वाले मुसलमानों की वजह से जीत मिली और महागठबंधन को हार। उन्होंने साफ कहा कि बिहार में बरेलवी और देवबंदी मुसलमान वोटों का बिखराव महागठबंधन की हार की वजह रहा। बरेलवी मुसलमानों ने खुलकर नीतीश कुमार का समर्थन किया।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने सोमवार की अपने एक बयान में कहा कि बिहार में NDA की भारी बहुमत से जीत व महागठबंधन की हार के पीछे एक अहम वजह है, जिसका राजनीतिक गलियारों में जिक्र नहीं और न ही सियासी लोग इसे अब तक समझ सके। उन्होंने वक्फ संशोधन बिल जब पास हुआ तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका जोरदार विरोध किया। जिसका केंद्र बिंदु पटना बना रहा। इसी बीच रमजान के महीने में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री आवास पर रोजा इफ्तार का कार्यक्रम रखा। जिसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के देवबंदी उलमा और बरेलवी सूफी उलमा को आमंत्रित किया गया।
उन्होंने कहा कि देवबंदी उलमा ने आमंत्रण को अस्वीकार कर रोजा इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया। जबकि बरेलवी उलमा ने दावतनामा कबूल करके रोजा इफ्तार में बड़ी संख्या में भाग लिया। यहां से बिहार के मुसलमानो में दो अलग-अलग दो धड़े बने। कुछ दिन बाद बरेलवियों के पटना स्थित केंद्र इदार-ए-शरईया में बरेलवी कयादत को सरकार में शामिल कर पद दिए गए। यही वजह थी कि बरेलवी मुसलमानो ने नीतीश कुमार को वोट दिया। जबकि देवबंदी मुसलमानो ने महागठबंधन को वोट दिया। बिहार में 60 फीसदी बरेलवी मुसलमानो का वोट है।
मौलाना ने उत्तर प्रदेश के आगामी 2027 चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अभी कुछ दिनों पहले बरेली आए थे। गली-गली घूमे मगर दरगाह आला हजरत पर हाजरी नहीं दी। जिससे उत्तर प्रदेश के बरेलवी मुसलमानो को बहुत तकलीफ पहुंची। उत्तर प्रदेश में भी 60 फीसदी सुन्नी बरेलवी मुसलमानों की आबादी है, इतनी बड़ी आबादी को नजरअंदाज करना घातक साबित होगा। वो जब भी सहारनपुर जाते हैं तो दारूलउलूम देवबंद जरूर जाते हैं। वहीं हर साल लखनऊ के नदवा भी जाते हैं, मगर वो अब तक कभी भी दरगाह आला हजरत नहीं आए।
