संपादकीय : दुर्घटना नहीं चेतावनी
नौगाम थाने में हुआ हालिया विस्फोट आतंकी कार्रवाई न होने के बावजूद इसकी जड़ें अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद से जुड़ी हैं। यह विस्फोट उन्हीं सामग्रियों में हुआ, जिन्हें आतंकियों से बरामद किया गया था। साफ है आतंकवाद की छाया केवल घटना स्थल तक सीमित नहीं रहती। विस्फोटक अत्यंत संवेदी प्रकृति के होते हैं- थोड़ा सा भी हिलने डुलने, मामूली गर्मी, गलत मिश्रण अथवा पुरानी सामग्री की अस्थिरता भी दुर्घटना का कारण बनती है, इसलिए विस्फोटकों के नमूने लेना मात्र तकनीकी नहीं, अत्यधिक जोखिम भरा कार्य बन जाता है।
स्वाभाविक सवाल है कि जब नमूना-लेने की प्रक्रिया नियमानुसार चल रही थी, तो विस्फोट कैसे हुआ? या तो सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन पूरी कठोरता से नहीं हुआ या फिर उपयोग किए गए उपकरण, सेफ सेक्शन या विस्फोटक-निष्क्रियकरण प्रणाली में कहीं कोई खामी थी। आतंकी मॉड्यूल की पहचान के लिए नमूना-लेना और विश्लेषण आवश्यक है, क्योंकि अलग-अलग आतंकी समूह भिन्न प्रकार के विस्फोटक, फ्यूजिंग तकनीक, डिटोनेटर और रासायनिक मिश्रण का उपयोग करते हैं। इनका विश्लेषण बताता है कि बरामद विस्फोटक किस संगठन, किस प्रशिक्षक, किस सप्लाई चैन या किस सीमा-पार नेटवर्क से जुड़े हैं।
इसके आधार पर ही सुरक्षा एजेंसियां मॉड्यूल का नक्शा तैयार करती हैं, उनकी पिछली घटनाओं से तुलना करती हैं और भविष्य की आशंकाओं का विश्लेषण करती हैं। अतः यह प्रक्रिया केवल सबूत इकट्ठा करने की नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर आतंकवाद-रोधक नीति का यह महत्वपूर्ण हिस्सा है। अधिकांश पुलिस स्टेशनों का बुनियादी ढांचा सैन्य-स्तर के विस्फोटकों और हाई-ग्रेड आईईडी रखने के लिए सक्षम नहीं है। बरामद विस्फोटक थानों के परिसर, साधारण कमरे या लोहे की अलमारी में रखना बेहद खतरनाक है और ऐसी दुर्घटनाओं को न्योता देती है। संवेदनशील सामग्री के लिए अलग सुरक्षित भंडारण, नियंत्रित तापमान, विस्फोट-रोधी कंटेनर, स्वचालित निगरानी और प्रशिक्षित स्टाफ आवश्यक है।
कुछ राज्यों में यह व्यवस्था मौजूद है, परंतु अधिकांश अभी भी तकनीकी रूप से पिछड़े हुए हैं। नमूना-लेने के लिए विशेष सूट, रोबोटिक आर्म, रिमोट ऑपरेटेड उपकरण, नियंत्रित विस्फोटक निपटान चेंबर, और उच्च प्रशिक्षित बम-विशेषज्ञों का अभाव इस घटना को और गंभीर बनाता है। ज्यादतर यह प्रक्रिया थाने के न्यूनतम कर्मियों की उपस्थिति में रिमोट हैंडॅलिंग के जरिए की जानी होती है। नौगाम की घटना संभव है उपकरणों के पुराने होने, अप्रमाणित प्रशिक्षण या जल्दबाजी की वजह से हुई हो, यह तो जांच के बाद पता चलेगा, फिलहाल यह दुर्घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, ऐसा भविष्य में न हो इसके लिए बरामद विस्फोटकों को थानों में सुरक्षा-ग्रेड विस्फोटक भंडारण कक्ष की व्यवस्था करने के अलावा थानों में इन्हें अधिक समय न रखकर सुरक्षित कंटेनर में केंद्रीय भंडारण केंद्र भेजना, हर जिले में स्पेशलाइज्ड बम-डिस्पोजल टीम बनाना और तकनीकी उपकरणों के आधुनिकीकरण के साथ पुलिसकर्मियों का नियमित प्रशिक्षण ज़रूरी है। नौगाम की घटना हमारी संस्थाओं की कुछ कमजोर कड़ियों को भी उजागर करता है। यह दुर्घटना चेतावनी है और इसे नज़रअंदाज़ करना अगली त्रासदी को बुलावा देना होगा।
