मॉय फर्स्ट राइड : डर से आत्मविश्वास तक की अनोखी यात्रा
कार चलाना हमेशा से मेरे लिए एक रोमांचक, लेकिन डराने वाला सपना था। सड़क पर तेजी से गुजरती गाड़ियों को देखकर मन में एक अजीब सा उत्साह तो आता था, लेकिन उसी के साथ लगा रहता था ‘क्या मैं कभी इन्हें चला पाऊंगा?’ लंबे समय तक यह सवाल मुझे रोकता रहा, लेकिन एक दिन मैंने पापा से कहा कि मुझे कार चलाना सीखना है। बस, यहीं से मेरी असली यात्रा शुरू हुई।
पहले दिन जब मैं पापा के साथ कार की ड्राइविंग सीट पर बैठा, तो ऐसा लगा जैसे किसी नए संसार में प्रवेश कर रहा हूं। स्टीयरिंग व्हील पकड़ते ही हथेलियां पसीजने लगीं। पापा शांत आवाज में बोले, “डरो मत, कार आपको समझ जाएगी।” उनकी यह बात थोड़ी अजीब लगी, पर उसमें एक भरोसा था। मैंने धीरे से क्लच दबाया, गियर बदला और कार हल्के से आगे बढ़ी। वह कुछ सेकंड शायद मेरी जिंदगी के सबसे लंबे सेकंड थे। ऐसा लगा मानो मैं खुद को चला रहा हूं, कार नहीं।
ड्राइविंग सीखने के शुरुआती दिन ज्यादा चुनौतीपूर्ण थे। क्लच और एक्सेलरेटर का बैलेंस समझना एक कला है और यह कला मुझे बिल्कुल नहीं आ रही थी। सड़क पर आते ही मन में हमेशा डर रहता कि कहीं गाड़ी बंद न हो जाए या बाईं-प्रवृत्ति वाली गाड़ी दाईं तरफ न भाग जाए। कई बार ऐसा हुआ कि कार ठीक से स्टार्ट ही नहीं हुई और आसपास के लोग एक्टिंग कर के बता रहे थे कि मैं कितना नया ड्राइवर हूं, लेकिन ड्राइविंग की खूबसूरती यही है कि हर गलती से आप कुछ सीखते हैं। धीरे-धीरे पैरों का तालमेल बैठने लगा। क्लच कम छोड़ना, पहले गियर में गाड़ी को स्मूद चलाना और मोड़ पर स्टीयरिंग को सही एंगल में घुमाना, सब धीरे-धीरे आसान होता गया। कार सिखाते समय पापा अक्सर कहते थे कि “कार वही करती है, जो ड्राइवर का दिमाग चाहता है। बस दिमाग शांत रखो।”
एक दिन जब पहली बार मैंने खुद कार को थोड़ा तेज चलाया और वह बिना झटके आगे बढ़ती रही, तो यह एक अलग ही खुशी थी। ऐसा लगा जैसे किसी बड़ी परीक्षा में पास हो गया हूं। अब सड़कें इतनी डरावनी नहीं लगती थीं, बल्कि रोमांचित करती थीं। सबसे यादगार क्षण तब आया जब मैंने पहली बार बिना किसी की मदद के रोड पर लांग ड्राइव की। शुरुआत में थोड़ी घबराहट थी, लेकिन कुछ ही मिनटों में भरोसा बढ़ गया। सड़क किनारे खड़े पेड़ों की तरफ देखकर लगा कि आज मैं सच में अपने डर को पीछे छोड़ आया हूं।
ड्राइविंग सीखने के इस पूरे अनुभव ने मुझे सिर्फ कार चलाना ही नहीं सिखाया, बल्कि धैर्य, आत्मविश्वास और साहस का महत्व भी समझाया। आज जब मैं कार स्टार्ट करता हूं, तो उन शुरुआती दिनों की घबराहट याद आ जाती है और उसी के साथ वह गर्व भी कि मैंने अपने डर को हराया। कार चलाना सिर्फ एक कौशल नहीं, बल्कि अपने आप को समझने और खुद पर भरोसा करने की एक छोटी, लेकिन बेहद महत्वपूर्ण यात्रा है। -रुद्राक्ष त्रिवेदी, बीटेक स्टूडेंट, बरेली
