धनबाद-वाराणसी कनेक्शन: फर्जी फर्मों के जरिए करोड़ों की फेंसेडिल कफ सिरप तस्करी का खुलासा! पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में भी काफी डिमांड
लखनऊ, अमृत विचार: फेंसेडिल कफ सिरप तस्करी गिरोह में शुभम जायासवाल मास्टर माइंड था। उसके बाद गिरोह में अमित सिंह टाटा और एसटीएफ का बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह दूसरे नंबर पर थे। शुभम के इशारे पर दोनों ही पूर्वांचल से लेकर झारखंड और पश्चिम बंगाल तक गिरोह के नेटवर्क को संचालित करते थे। यही तीनों तय करते थे कि कितनी मात्रा में कफ सिरप कहां जायेगा। इसके लिए बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह के नाम से वाराणसी में मां शारदा मेडिकल और झारखंड के धनबाद में श्रेयसी मेडिकल के नाम से फर्म का लाइसेंस बनवाया गया। इसके माध्यम से गिरोह ने करोड़ों रुपये के कफ सिरप की तस्करी की। एसटीएफ की पूछताछ में आलोक ने कुबूल किया कि फेंसेडिल कफ सिरप का प्रयोग लोग नशे के लिए करते थे। इसकी पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में काफी मांग है। गिरोह ने तीन से चार वर्ष के अंदर दो हजार करोड़ का कारोबार किया है।
एसटीएफ एएसपी लाल प्रताप सिंह के मुताबिक बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह ने पूछताछ में कुबूल किया कि उसकी शुभम से मुलाकात आजमगढ़ के नरवे निवासी विकास सिंह ने कराई थी। विकास ने ही शुभम के एबॉट कंपनी की फेंसेडिल कफ सिरप का शैली ट्रेडर्स के नाम पर बड़ा कारोबार रांची में होने की जानकारी दी। नशे के लिए प्रयोग होने वाले कफ सिरप की तस्करी में मोटे मुनाफे का लालच दिया। इस पर अमित सिंह टाटा और वह निवेश करने को तैयार हो गये। दोनों ने विकास के जरिये शुभम के साझीदार वरुण सिंह, गौरव जायसवाल व विशाल मेहरोत्रा के साथ बातचीत की। इसके बाद इन्ही लोगो ने धनबाद में मेरा श्रेयसी मेडिकल एजेंसी के नाम से जनवरी 2024 में फर्म बनवा दी। फर्म का सारा लेनदेन शुभम का साझीदार और सीए तुषार देखता था। अमित और आलोक ने पांच-पांच लाख रुपये लगाये थे। इसके बदले में पांच गुना मुनाफा दिया। दोनों को 22-25 लाख रुपये दिये। दोनों तीन बार धनबाद गये थे। धनबाद व रांची का काम वरुण सिंह देखता था। इसके बाद वाराणसी में मां शारदा मेडिकल के नाम से फर्म खुलवाई। इसका सारा लेनदेन भी शुभम व उसके साथी देखते थे। वाराणसी के फर्म में दो-तीन महीने ही फेन्सेडिल का व्यापार होना बताया। उसके बाद एबॉट कंपनी द्वारा फेन्सेडिल कफ सिरप बनाना बंद हो गया। बनारस की फर्म में भी लगभग 8 लाख रुपए का लाभ अलग-अलग समय पर शुभम के पार्टनर विकास सिंह व विशाल मल्होत्रा ने दिया था।
कूटरचित दस्तावेज से लगा हासिल किया था ड्रग लाइसेंस
एएसपी लाल प्रताप सिंह के मुताबिक आलोक ने पूछताछ में बताया कि ड्रग लाइसेंस हासिल करने के लिए जो भी प्रमाण पत्र की जारूरत थी। वह सारा अनुभव प्रमाण पत्र एवं शपथ पत्र शुभम व उसके साझीदारों ने फर्जी बनवाया था। हम लोगों ने कभी किसी भी दुकान पर काम नहीं किया है। फर्जी फर्म बनवाकर फेंसेडिल कफ सिरप के कूटरचित बिल और ई- वे बिल तैयार कर खरीदफरोख्त दिखाया गया। तस्करों को बेचकर मोटा मुनाफा कमाया। आलोक ने बताया कि अमित के पकड़े जाने के बाद कोर्ट में आत्मसमर्पण की अर्जी डाल रखी थी। एएसपी ने बताया कि गिरोह के बारे में और जानकारी के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड के लिए आवेदन किया जाएगा।
लुकआउट नोटिस के बाद दबोचा गया
फेंसेडिल कफ सिरप की तस्करी में लगातार आरोपियों की गिरफ्तारी हो रही है। इसे देखते हुए आरोपी बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह विदेश भागने के फिराक में था। इसकी जानकारी होने पर एसटीएफ ने उसके खिलाफ सोमवार को लुकआउट नोटिस जारी किया। सर्विलांस की टीम को सक्रिय कर दिया गया। उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दी गई। मंगलवार को एसटीएफ को जानकारी मिली कि वह कोर्ट में समर्पण करने जा रहा है। इसी बीच एसटीएफ ने उसे प्लासियो मॉल के पास से गिरफ्तार किया।
2006 में पांच पुलिसकर्मियों संग मिल लूटा था चार किलो सोना
बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह ने वर्ष 2006 में प्रयागराज के सराफा कारोबारी भाइयों से लखनऊ के आशियाना इलाके में चार किलो सोना लूटा था। इस लूटकांड में पांच पुलिसकर्मी समेत सात आरोपी बनाये गये थे। इस लूटकांड में दरोगा संतोष सिंह, बृजनाथ यादव, क्राइम ब्रांच का सिपाही सुशील पचौरी, आलोक सिंह व संतोष तिवारी के अलावा नीरज गुप्ता, सुभाष भी आरोपी थे। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। उनकी निशानदेही पर तीन किलो सोना बरामद किया। वहीं, एक किलो सोना आज तक बरामद नहीं हो सका। जबकि इस मामले में सत्र न्यायालय ने पांच पुलिसकर्मियों समेत सातों आरोपियों को साक्ष्य की कमी के कारण तीन वर्ष पूर्व बरी कर दिया था।
लाइन हाजिर हुआ, रियल एस्टेट से बन गया करोड़पति
2006 में जेल रोड सोना लूटकांड में आलोक का नाम सामने आने के बाद आलोक और सुशील पचौरी को पुलिस सेवा से बर्खास्त किया गया। हालांकि कोर्ट के आदेश पर बाद में उसकी बहाली हुई। इस बीच आलोक पर नाका क्षेत्र में व्यापारी से लूट समेत कई आरोप लगे और उसे लाइन हाजिर किया गया। उसकी नजदीकियां जौनपुर के बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह से बढ़ीं और रियल एस्टेट समेत कई कारोबार में प्रभाव जमा लिया। 2019 में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और आलोक सिंह पर आरोप लगा था कि हजरतगंज इलाके में मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि भाइयों पर जानलेवा हमला किया है। उसके बाद तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने धनंजय सिंह के करीबी सिपाही आलोक सिंह को बर्खास्त कर दिया था। बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह के खिलाफ गाजियाबाद में भी नामजद एफआईआर दर्ज है। आलोक सिंह के खिलाफ जांच के दौरान एसटीएफ के हाथ ठोस सबूत लगे हैं। आलोक सिंह से पूछताछ में दुबई कनेक्शन और नेटवर्क को शह देने वाले लोगों के नाम सामने आएंगे। उससे जुड़े रियल एस्टेट कारोबार, फर्जी फर्मों की जांच की जाएगी। आलोक सिंह की गिरफ्तारी के बाद ईडी भी पूछताछ करेगी। बैंक खातों में लेनदेन, विदेश यात्रा व करीबियों की सूची तैयारी की जा रही है।
