आर्ट गैलरी : मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान
लियोनार्डो द विंची की पेंटिंग मोनालिसा दुनिया की सबसे चर्चित और रहस्यमयी पेंटिंग है। पेंटिंग की सबसे खास बात इसकी रहस्यमयी मुस्कान है। अलग-अलग कोणों से देखने पर यह बदलती हुई सी महसूस होती है। कुछ लोग मानते हैं कि इस पेंटिंग में विंची ने कुछ कोड छिपाकर रखे हैं। यही नहीं बहुत दिनों तक एक चर्चा यह भी रही कि इसका आधा हिस्सा महिला का है और बाकी आधा हिस्सा खुद विंची का है। इन रहस्यों ने इसे कला इतिहास में निरंतर शोध और आकर्षण का विषय बना दिया। मोनालिसा को ‘ला जियोकोंडा’ के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इसे 1503 में शुरू किया गया और 1517 तक इस पर काम चला।
हालांकि यह 1519 में विंची की मृत्यु के समय तक अधूरा रह गया था। यह चिनार की लकड़ी के एक पैनल पर ऑयल पेंट से बनाई गई है। विंची ने ‘स्फ़ुमाटो’ (Sfumato) नाम की एक अभिनव तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें रंगों को सूक्ष्मता से मिश्रित किया जाता है, जिससे धुंधले किनारे और छाया के प्रभाव पैदा होते हैं। यह तकनीक पेंटिंग को जीवंत बनाती है। खासकर मोनालिसा की प्रसिद्ध रहस्यमयी मुस्कान और आंखों में, जो देखने वाले को हर कोण से खुद को देखे जाने का अहसास कराती है।
रिसर्चर का मानना है कि यह पेंटिंग फ्लोरेंटाइन रेशम व्यापारी फ्रांसेस्को डेल जियोकोंडो की पत्नी लिजा घेरार्डिनी का चित्र है, इसलिए इसे ‘मोनालिसा’ (जिसका अर्थ श्रीमती लिसा है) कहा जाता है। यह पेंटिंग फ्रांस के पेरिस शहर में स्थित लूव्र संग्रहालय (Louvre Museum) में रखी गई है। इसे वहां बुलेटप्रूफ कांच के पीछे बहुत सेफ्टी के साथ रखा गया है। पेंटिंग की प्रसिद्धि में 1911 की चोरी का भी बड़ा हाथ है। लूव्र संग्रहालय से विंसेंजो पेरुगिया नाम के एक कर्मचारी ने इसे चुरा लिया था। इस चोरी ने दुनियाभर में सनसनी मचा दी और दो साल बाद पेंटिंग की बरामदगी ने इसे वैश्विक सुर्खियों में ला दिया। इस घटना ने मोनालिसा को कला जगत से निकालकर आम जनमानस तक पहुंचा दिया।
विंची के बारे में
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लियोनार्डो द विंची 15 अप्रैल 1452 को पैदा हुए और दो मई 1519 को उनका निधन हो गया। इतालवी पुनर्जागरण के एक अद्वितीय ‘पॉलीमैथ’ (बहु-प्रतिभाशाली व्यक्ति) थे। उन्होंने चित्रकार, इंजीनियर, वैज्ञानिक, मूर्तिकार और वास्तुकार के रूप में अपनी छाप छोड़ी। उन्हें अक्सर ‘पुनर्जागरण पुरुष’ (Renaissance Man) का आदर्श उदाहरण माना जाता है, जिनकी असीमित जिज्ञासा की बराबरी केवल उनकी आविष्कारक शक्ति ही कर सकती थी। विंची की प्रसिद्धि मुख्य रूप से उनकी दो विश्व प्रसिद्ध पेंटिंग्स की वजह से ज्यादा है।
‘मोनालिसा’ और ‘द लास्ट सपर’। इन उत्कृष्ट कलाकृतियों के अलावा, उनका ‘विट्रुवियन मैन’ (Vitruvian Man) का चित्र भी एक सांस्कृतिक प्रतीक बन गया है, जो कला और विज्ञान के बीच के संबंध को दिखाता है। एक वैज्ञानिक और आविष्कारक के रूप में, विंची अपने समय से सदियों आगे थे। उनकी नोटबुक्स, जिन्हें वह उल्टे हाथ से लिखते थे, ताकि कोई आसानी से न पढ़ सके, शरीर रचना विज्ञान, यांत्रिकी, खगोल विज्ञान और वनस्पति विज्ञान पर विस्तृत नोट्स और रेखाचित्रों से भरी हुई है। उन्होंने उड़ने वाली मशीनों (हेलिकॉप्टर और हवाई जहाज के शुरुआती कॉन्सेप्ट), बख्तरबंद वाहनों (टैंक) और पैराशूट जैसे कई उपकरणों की अवधारणा दी। उनके कई डिजाइन उनके जीवनकाल में कभी निर्मित या व्यावहारिक नहीं हुए, लेकिन उनके विचारों और वैज्ञानिक अवलोकन ने बाद की पीढ़ियों के कलाकारों और वैज्ञानिकों को गहराई से प्रभावित किया।
