मेरठ में निजी अस्पतालों पर कसा शिकंजा : 1400 डॉक्टर-300 हॉस्पिटल को CMO के 13 सख्त नियम, अनदेखी की तो लाइसेंस रद्द!
मेरठः उत्तर प्रदेश में अब निजी डॉक्टर और अस्पताल मरीजों को अपनी मेडिकल दुकान से जबरन दवा खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकेंगे। ऐसा करने पर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है और डॉक्टर पर कानूनी कार्रवाई तय है। जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक कटारिया ने बुधवार को करीब 1400 रजिस्टर्ड निजी चिकित्सकों और 300 से ज्यादा निजी अस्पतालों-नर्सिंग होम्स के लिए 13 बिंदुओं पर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनका पालन न करने पर सख्त सजा का प्रावधान है।
मरीजों के लिए बड़ी राहत – अब चुन सकेंगे अपनी मर्जी की दुकान
- हर अस्पताल में बड़ा बोर्ड लगाना अब जरूरी: “मरीज अपनी इच्छा से किसी भी दुकान से दवा खरीद सकता है”
- एक्सपायरी या जल्द एक्सपायर होने वाली दवाओं का इस्तेमाल पूरी तरह बैन
- बाहरी दलाल या एंबुलेंस चालक मरीजों के साथ कमीशनखोरी नहीं कर सकेंगे
मुख्य गेट पर लगेगा पीला बोर्ड, सब कुछ लिखा होगा
अब हर निजी अस्पताल के मुख्य द्वार पर पीला बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा, जिसमें काले अक्षरों में साफ-साफ लिखा हो:
- अस्पताल का रजिस्ट्रेशन नंबर
- संचालक का नाम
- कुल बेड की संख्या
- उपलब्ध चिकित्सा पद्धति और सेवाएं
- सभी डॉक्टरों-नर्सों की पूरी लिस्ट और उनकी योग्यता
इलाज महंगा करने वालों पर भी लगाम
- बिना वजह मरीज को भर्ती करके लूटने की इजाजत नहीं
- गंभीर मरीज को तुरंत हायर सेंटर रेफर करना जरूरी
- हर मरीज का पूरा रिकॉर्ड रखना अनिवार्य, जिसमें डॉक्टर का नाम और सिग्नेचर-मुहर जरूरी
- मुख्य गेट पर सभी सेवाओं और ऑपरेशन की अनुमानित दरें (रेट लिस्ट) चस्पा करनी होंगी, बिना रेट लिस्ट के अस्पताल चलाने पर सीधी कार्रवाई
स्टाफ और सुविधाओं पर भी कड़ी नजर
- रजिस्टर्ड सभी डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ हमेशा मौजूद रहेंगे
- कोई डॉक्टर/स्टाफ आए या जाए तो तुरंत CMO ऑफिस को सूचना देनी होगी
- सभी कर्मचारी निर्धारित यूनिफॉर्म में ही ड्यूटी करेंगे
- सुरक्षाकर्मी सिर्फ रजिस्टर्ड एजेंसी से ही रखे जाएंगे
आयुष्मान भारत मरीजों को कोई परेशानी नहीं
आयुष्मान कार्डधारी मरीजों का पूरा इलाज मुफ्त और बिना किसी बहाने के करना होगा। साथ ही अस्पताल में पर्याप्त पार्किंग, साफ-सफाई और इंफेक्शन कंट्रोल के सभी मानक पूरे करने होंगे। CMO ने का साफ संदेश दिया है कि मरीजों के हित और पारदर्शिता से कोई समझौता नहीं। अब देखना यह है कि जिले के निजी स्वास्थ्य केंद्र इन नियमों का कितना पालन करते हैं।
