केजीएमयू OPD के बाहर मरीजों की जगह बोतलों की लाइन, समुचित प्रबंधन न किए जाने से मरीज और तीमारदार परेशान

Amrit Vichar Network
Published By Anjali Singh
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पंकज द्विवेदी/ लखनऊ, अमृत विचार : किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) की नई ओपीडी के बाहर सुबह की भीड़ से बचने के लिए मरीजों की जद्दोजहद अब एक अनोखी और चिंताजनक व्यवस्था में बदल गई है। जल्दी प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए लोग रातभर अस्पताल परिसर में डटे रहते हैं और अपनी जगह 'आरक्षित' करने के लिए प्लास्टिक की बोतलें रख देते हैं या जमीन पर चाक से अपना नाम लिखकर गोला बना देते हैं।

बुधवार की सर्द रात में 'अमृत विचार' की टीम ने ओपीडी और आसपास का जायजा लिया। दर्जनों मरीज अपने इन अस्थायी निशानों के पास सोते मिले, ताकि कोई उनकी पोजीशन न बदल दे। टीम के यहां रुकते ही एक तीमारदार सतर्क हो गया। टीम के सदस्य को मरीज या तीमारदार समझकर कहा जहां तक गोला बना है उनके पीछे ही अपनी उपस्थिति लगाएं, पहले से रखीं बोतल या बने गोलों से छेड़छाड़ न करें।

बाद में बातचीत करने पर उसने खुद को आजमगढ़ निवासी होने की बात कहते हुए बताया कि यह व्यवस्था मरीजों-तीमारदारों की अपनी खुद की है। जिससे वह सुबह ओपीडी खुलते ही जल्दी अंदर प्रवेश पा जाते हैं। बताया चौथे नंबर पर रखी बोतल उसी की है।

गोंडा से आए संतोष कुमार ने बताया कि उसे अपने पिता को न्यूरो विभाग में दिखाना है। सुबह उसका नंबर जल्दी आ सके इसके लिए वह पिता को लेकर एक दिन पूर्व ही आ गए हैं। गोला बनाकर अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करा दी है। पास के ही फुटपाथ पर उसने पिता को लिटाया हुआ था। वह स्वयं गोले की निगरानी में लगे हैं। बहराइच से आए मनोहर ने बताया कि वह अभी पहुंचे हैं, यहां इस तरीके की व्यवस्था देख कर उसे भी समझ में नहीं आ रहा है कि उसे क्या करना चाहिए। फिलहाल पहले वह रात गुजारने की जुगत में लगा हुआ है। इसी तरह दूरदराज से आए अन्य तीमारदारों ने भी ओपीडी में दिखाने को लेकर अपना दर्द बयां किया।

बोतलों की दो लाइनें, उसकी भी वजह

टीम ने बोतल की दो कतारे एक छोटी और एक बड़ी होने के बारे में पूछा तो अपने स्थान की रखवाली कर रहे मरीजों-तीमारदारों ने बताया कि बोतलों की बड़ी कतार पुरुष और छोटी कतार महिलाओं की है। सुबह ओपीडी खुलने पर भी इसी तरह लाइन रहेगी। बोतल और गोले की जगह मरीज-तीमारदार ले लेंगे।

अस्थाई रैन बसेरे का भी संकट

केजीएमयू की ओपीडी में रोजाना सात से आठ हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। दूरदराज से आने वाले मरीज शाम से ही पहुंचने लगते हैं। दिसंबर माह की शुरुआत हो चुकी है। रात को ठंड होने लगी है। इसके बावजूद ओपीडी में रैन बसेरे की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई है। यहां एक छोटा सा रैन बसेरा है जो कि नाकाफी है। यही हाल ट्रॉमा सेंटर व अन्य विभागों का भी है। मरीज-तीमारदार खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं।

दूरदराज से आने वाले काफी संख्या में मरीज रात में ही आ जाते हैं। अनौपचारिक कतारें बनाना शुरू कर देते हैं। जबकि पंजीकरण सुबह आठ बजे से शुरू होता है। पंजीकरण कराने से लेकर डॉक्टर को दिखने तक में मरीजों को कोई परेशानी न हो इसको लेकर केजीएमयू की ओर से पूरा बंदोबस्त किया गया हैं। आए हुए सभी मरीजों का पंजीकरण और इलाज कराना सुनिश्चित किया जाता है। किसी भी मरीज को पंजीकरण के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है।- डॉ. केके सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

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