मान्यता रद्द होने के बाद भी चल रहा वेतन घोटाला: 3 कमरे के मदरसे में 24 टीचर अभी भी मौजूद
लखनऊ, अमृत विचार: झांसी के नगरीय क्षेत्र में जर्जर तीन कमरों में मदरसा कॉस्मोपॉलिटन कॉलेज, भट्टागांव संचालित हो रहा है। यह एक अनुदानित मदरसा है। जिसमें पहले से 24 अध्यापक तैनात हैं। जो सरकारी फंड से हर महीने मोटा वेतन उठा रहे हैं। हकीकत यह है कि मदरसे में बच्चों की संख्या न के बराबर है। इस मदरसे की मान्यता पहले मदरसा बोर्ड द्वारा निलंबित की गई थी। जिसे मानक पूरा करने की शर्त पर बहाल किया गया। समय सीमा 2016 में समाप्त हो गई। पर, आज तक मानक पूरे नहीं हो सके। मदरसे में नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद भी मदरसा बोर्ड के तत्कालीन रजिस्ट्रार और संप्रति मुरादाबाद मंडल के उपनिदेशक का कार्य देख रहे जगमोहन सिंह बिष्ट ने पांच नए शिक्षकों की नियुक्तियों का अनुमोदन और भुगतान की वित्तीय सहमति जारी कर दी।
प्रदेश में 22 जुलाई 2016 को नई मदरसा नियमावली लागू की थी। जिसमें भवन, कक्ष संख्या और छात्र-शिक्षक अनुपात के मानक सख्त कर दिये थे। 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार आई। शासन ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये कि अनुदानित मदरसों के मानक की जांच कराई जाए। आठ महीने में जांच रिपोर्ट आई। जिसमें 35 मदरसे मानकविहीन संचालित पाये गये। पर, स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण मदरसा कॉस्मोपॉलिटन कॉलेज भट्टागांव का नाम सूची में नहीं डाला गया।
अधिकारी ने दी थी मानकविहीन होने की रिपोर्ट
झांसी के तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 28 जुलाई 2021 को मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार को लिखित रूप से रिपोर्ट दी थी कि मदरसा कॉस्मोपॉलिटन कॉलेज भट्टागांव मानक विहीन है। इसमें भविष्य में किसी भी नियुक्ति पर वित्तीय अनुमोदन न दिया जाए। इस रिपोर्ट को भी मदरसा बोर्ड के तत्कालीन रजिस्ट्रार ने नजरअंदाज कर दिया। मदरसे में गलत तरीके से पांच नए शिक्षकों की नियुक्तियों पर न केवल अनुमोदन प्रदान किया, बल्कि भुगतान की वित्तीय सहमति भी जारी कर दी। अनुमोदन देते समय न तो मदरसे के भवन व मानकों की जांच की गई। न ही छात्र-शिक्षक के अनुपात का परीक्षण किया गया। शिक्षकों की नियुक्ति व वित्तीय अनुमोदन मदरसा प्रबंधन, जिला स्तर के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह खेल किया गया। इस खेल में सरकारी धन का लाखों रुपये का दुरुपयोग किया गया।
